दीपिका पादुकोण अपनी आने वाली फिल्म छपाक और जेएनयू में जाने को लेकर चर्चाओं में है. अब उनसे जुड़ी एक खबर कौशल विकास मंत्रालय से भी आ रही है. समाचार वेबसाइट द प्रिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि मंत्रालय ने स्किल इंडिया कार्यक्रम के उस प्रमोशनल वीडियो को रिलीज न करने का फैसला किया है जिसमें दीपिका पादुकोण नज़र आने वालीं थीं. बताया जा रहा है कि 45 सेकंड की लंबाई वाला यह वीडियो स्किल इंडिया कार्यक्रम और ‘छपाक’ के साझा प्रमोशन के लिए बनाया गया था. इसमें दीपिका अपनी फिल्म छपाक और हर नागरिक को रोजगार के बराबर मौके दिए जाने की बात करती दिखाई देतीं.
द प्रिंट की रिपोर्ट मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहती है कि बुधवार को दीपिका पादुकोण वाला प्रमोशनल वीडियो जारी किया जाना था. मंत्रालय में यह तमाम लोगों तक पहुंच भी चुका था. लेकिन मंगलवार को हुई घटनाओं के बाद (इसी दिन दीपिका जेएनयू में गई थीं) इसे ड्रॉप कर दिया गया. कौशल विकास मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि दीपिका पादुकोण के साथ इस वीडियो को लेकर कोई औपचारिक अनुबंध नहीं हुआ था. इससे पहले उसके मीडिया एडवाइजर का कहना था कि दीपिका पादुकोण की टीम की तरफ से भेजे गये वीडियो को परखा जा रहा है.
बीते रविवार को जेएनयू में हुई हिंसा के बाद बुधवार को दीपिका पादुकोण छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने वहां पहुंचीं थीं. उन्होंने वहां एक सभा में हिस्सा भी लिया था. इसके बाद से सरकार के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर उनका और उनकी फिल्म का लगातार विरोध किया जा रहा है.
यह कोई पहला मौका नहीं है जब मोदी सरकार के ऊपर इस तरह के आरोप लग रहे हैं. अगर दीपिका के वीडियो से जुड़ी खबर के सिर्फ एक सप्ताह के भीतर ही देखें तो इस तरह के कुछ उदाहरण आसानी से मिल सकते हैं.
उदाहरण के लिए पिछले सप्ताह यह खबर आई थी कि गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की झांकियों को शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार है जो लगातार नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर सरकार के विरोध में आवाज उठा रही हैं. और महाराष्ट्र में भाजपा से अलग होने वाली शिवसेना ने गठबंधन सरकार बना ली है. कई राजनीतिक दलों और राजनीति के जानकारों को इसमें गैर-भाजपाई राज्यों के साथ केंद्र सरकार के सौतेले व्यवहार की झलक दिखाई दी.
इस तरह का एक और उदाहरण केरल भी है. इसी सप्ताह केंद्र सरकार ने सात बाढ़ पीड़ित राज्यों को छह हजार करोड़ का अतिरिक्त राहत फंड जारी किये जाने की घोषणा की है. लेकिन इन राज्यों में केरल शामिल नहीं है जो बीते दो सालों से लगातार भयंकर बाढ़ से पीड़ित रहा है. यहां पर भी ऐसा माना जा रहा है कि वाम शासित राज्य होने के चलते केरल के साथ भेदभाव किया गया है. कोढ़ पर खाज यह कि अतिरिक्त राहत फंड देने से इनकार करने के बाद केरल से बाढ़ के दौरान बांटे गए चावलों की कीमत भी वसूली जा रही है. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने हाल ही में, राज्य के आपदा राहत प्राधिकरण को नोटिस देकर कहा है कि वह बाढ़ के दौरान सप्लाई किए गए लगभग 9000 टन चावल की कीमत, जो लगभग 205 करोड़ रुपए है, अदा करे. राजनीतिक टिप्पणीकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सबरीमला विवाद से लेकर एनआरसी तक, लगभग हर मुद्दे पर सरकार का विरोध किया था जिसका खामियाजा अब उनके राज्य को भुगतना पड़ रहा है.
इसके अलावा, बुधवार को ही खबर आई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 जनवरी से गुवाहाटी में आयोजित हो रहे खेलो इंडिया कार्यक्रम का उद्घाटन नहीं करेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि यह फैसला असम में नागरिकता संशोधन कानून पर हो रहे भारी विरोध को देखते हुए लिया गया है. यह दूसरा मौका है जब विरोध के चलते उनकी असम की यात्रा रद्द हुई है. इससे पहले बीते दिसंबर में उनकी यहीं पर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ वार्ता होनी थी जिसे आखिरी समय में रद्द कर दिया गया था. यह स्वाभाविक ही था कि अगर प्रधानमंत्री वहां पहुंचते तो राज्य को मीडिया कवरेज मिलती है और ऐसे में विरोध प्रदर्शन और प्रबल हो सकते थे. साथ ही, असम को देश भर में चर्चा मिल सकती थी.
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