पंजाब विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर दिया है. इसमें इस कानून को रद्द करने की मांग की गई है. इससे पहले अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने कहा था कि वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर सदन की भावना के अनुसार आगे बढ़ेगी. मुख्यमंत्री का कहना था कि उनकी सरकार विभाजनकारी सीएए को लागू नहीं होने देगी. अमरिंदर सिंह के मुताबिक वे और कांग्रेस धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उनका विरोध सीएए में मुस्लिमों समेत कुछ अन्य धार्मिक समुदायों के प्रति किए गए भेदभाव को लेकर है.
इससे पहले केरल विधानसभा ने इस विवादित कानून को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पारित किया था. यानी पंजाब ऐसा करने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है. केरल सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची है. इस तरह से अब यह केंद्र-राज्य संबंधों का मामला हो गया है. उधर, केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों को ऐसा करने का अधिकार नहीं है. उसने यह भी कहा है कि सीएए से कदम पीछे खींचने का कोई सवाल ही नहीं उठता. सीएए में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले गैरमुस्लिम नागरिकों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है.
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