भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने हैदराबाद में रहने वाले 127 लोगों को एक नोटिस जारी किया है. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इसमें उनसे कहा गया है कि वे मई 2020 तक एक जांच अधिकारी के सामने पेश हों. इन सभी लोगों को यह साबित करना होगा कि उन्होंने आधार के लिए फर्जी दस्तावेज नहीं दिए हैं. इसके लिए उन्हें मूल दस्तावेज जमा करने होंगे. बीबीसी के मुताबिक इनमें से एक मोहम्मद सत्तार ख़ान भी हैं. उनका कहना है कि वे भारतीय नागरिक हैं मगर इस नोटिस में उनसे अपनी ‘नागरिकता साबित’ करने के लिए भी कहा गया है.
आधार कार्यालय की ओर से जारी नोटिस में नागरिकता साबित करने के लिए कहे जाने पर सवाल उठ रहे हैं. इसकी वजह यह है कि आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाता. एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का आरोप है कि यूआईडीएआई अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर रहा है. उनका कहना है कि प्राधिकरण के पास नागरिकता की पुष्टि करने का अधिकार नहीं है. उधर, यूआईडीएआई का कहना है कि इस कवायद का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है. उसके मुताबिक उसे इन लोगों के खिलाफ राज्य पुलिस से शिकायत मिली थी. यूआईडीएआई के मुताबिक प्राथमिक जांच में यह पाया गया था कि ये सभी लोग अवैध प्रवासी हैं जिन्हें आधार जारी नहीं किया जा सकता. उसका यह भी कहना है कि अगर नोटिस में इस्तेमाल की गई शब्दावली से कुछ भ्रम की स्थिति बनी है तो उसे बदला जाएगा.
It may be noted that the RO Hyderabad received reports from the State Police that 127 people have obtained Aadhaar on false pretences as in their preliminary enquiry they were found illegal immigrants who were not qualified to obtain an Aadhaar number. 6/n
— Aadhaar (@UIDAI) February 19, 2020
उधर, मोहम्मद सत्तार ख़ान का कहना है कि उनके पिता केंद्र सरकार की कंपनी में काम करते थे और उनकी मां को अभी भी पिता की पेंशन मिलती है. उन्हें मिले नोटिस में कहा गया है कि उनके भारतीय नागरिक न होने की शिकायत मिली है और इस सिलसिले में जांच का आदेश दिया गया है. सत्तार ख़ान को 20 मई को इस संबंध में अपील के लिए पेश होने के लिए कहा है. उनसे कहा गया है कि वे असली दस्तावेज़ लाएं ताकि नागरिकता साबित की जा सके. अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनका आधार रद्द कर दिया जाएगा.

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