अफगानिस्तान सरकार तालिबान कैदियों को रिहा नहीं करेगी
अमेरिका-तालिबान शांति समझौते के एक दिन बाद ही अफगानिस्तान ने कैदियों की रिहाई पर सार्वजनिक रूप से असहमति जताई है. दैनिक जागरण के मुताबिक राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि वे अगले हफ्ते प्रस्तावित वार्ता से पहले तालिबान कैदियों को रिहा नहीं करेंगे. उनकी इस टिप्पणी को शांति समझौता लागू करने में पहली अड़चन के तौर पर देखा जा रहा है. कतर के दोहा में हुए इस समझौते का उद्देश्य 18 साल से ज्यादा समय से चल रहे युद्ध को समाप्त कर अफगानिस्तान में शांति स्थापित करना है. इसके तहत अमेरिका अगले 14 महीने में अफगानिस्तान से चरणबद्ध तरीके से अपने सैनिक वापस बुलाएगा.

समझौते में कहा गया है कि अफगानिस्तान सरकार 10 मार्च को ओस्लो में अफगान गुटों से वार्ता से पहले पांच हजार तालिबान कैदियों को छोड़ेगी, जबकि तालिबान एक हजार बंदियों को छोड़ेगा. अशरफ गनी ने रविवार को राजधानी काबुल में एक पत्रकार वार्ता में कहा, ‘अमेरिका इस तरह का वादा नहीं कर सकता. कैदियों की रिहाई का निर्णय हमें लेना है और हम वार्ता शुरू होने से पहले कैदियों को रिहा करने को तैयार नहीं हैं. अमेरिका द्वारा कैदियों की रिहाई का आग्रह किया गया है. यह वार्ता का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह पूर्व निर्धारित शर्त नहीं हो सकती.’
ज्यादातर ‘स्मार्ट सिटीज’ में पानी पीने लायक नहीं
देश की ज्यादातर ‘स्मार्ट सिटीज’ में पानी पीने लायक नहीं है. हिंदुस्तान ने यह खबर पहले पन्ने पर छापी है. अखबार के मुताबिक भारतीय मानक ब्यूरो ने ‘स्मार्ट सिटीज’ में पहुंचाए जाने वाले पानी की जांच की थी. इसमें ज्यादातर नमूने तय पैमानों पर खरे नहीं उतरे. केंद्र सरकार देश के करीब 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रयास में है. इस परियोजना की शुरुआत 2015 में हुई थी.
मेघालय में हालात अब भी तनावपूर्ण
मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स इलाके में तनाव अब भी जारी है. दैनिक भास्कर के मुताबिक यहां आदिवासी और गैर आदिवासी समूहों में छिड़ी हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा तीन हो गया है. रविवार को भी कुछ अज्ञात लोगों ने घर में घुसकर एक शख्स की हत्या कर दी. राजधानी शिलॉन्ग सहित राज्य के छह जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. यह हिंसा शनिवार को तब शुरू हुई जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में हुई झड़प के दौरान दो व्यक्तियों की मौत हो गई.
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