प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस ट्वीट की चर्चा आज लगभग सभी अखबारों के पहले पन्ने पर है जिसमें वे अगले रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म छोड़ने की सोचने की कह रहे हैं. द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक उनके इस ऐलान को लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं. ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करोड़ों फॉलोअर्स हैं. कुछ का कयास है कि शायद प्रधानमंत्री कुछ दिन के लिए डिजिटल उपवास पर चले जाएं. रविवार यानी आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इसलिए ये अटकलें भी लग रही हैं कि इस दिन नरेंद्र मोदी का अकाउंट महिलाएं चला सकती हैं. यह भी चर्चा है कि सरकार या इससे जुड़ी कोई संस्था कोई नया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लॉन्च कर सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर पर 5.3 करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. फेसबुक पर उन्हें 4.4 करोड़ लोग फॉलो करते हैं. इंस्टाग्राम पर भी वे स्टार हैं और यहां उन्हें 3.5 करोड़ से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. यूट्यूब पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 45 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.

अनुच्छेद 370 का मामला बड़ी पीठ में नहीं भेजा जाएगा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ही सुनवाई करेगी. दैनिक जागरण के मुताबिक शीर्ष अदालत ने मामले को विचार के लिए सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को भेजने की मांग खारिज कर दी है. पांच न्यायाधीशों की इस पीठ ने कहा कि जिन दो पूर्व फैसलों को एक दूसरे का विरोधाभासी बताते हुए मामले को बड़ी पीठ को भेजने की मांग की जा रही है वे विरोधाभासी नहीं हैं, इसलिए मामले को बड़ी पीठ को भेजने की जरूरत नहीं है. बीते अगस्त में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी कर दिया गया था.

भारत में फिर कोरोना की दस्तक

भारत में फिर कोरोना वायरस ने दस्तक दी है. हिंदुस्तान के मुताबिक तीन लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं जिनमें एक दिल्ली का है और बाकी राजस्थान और तेलंगाना के. फिलहाल इन्हें अलग रखकर इनका इलाज किया जा रहा है. कुछ समय पहले केरल में भी इसके तीन मामले सामने आए थे. कोरोना वायरस पूरी दुनिया में बीते तीन महीने के दौरान तीन हजार से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. चीन के अलावा इससे दक्षिण कोरिया, ईरान और इटली में भी बड़ी संख्या में मौतें होने लगी हैं.

यह आदेश जस्टिस एनवी रमना, संजय किशन कौल, आर. सुभाष रेड्डी, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को चुनौती देने वाली तीन याचिकाकर्ताओं की मांग खारिज करते हुए सुनाया। वैसे तो अनुच्छेद 370 को बहुत सी याचिकाओं में चुनौती दी गई है और सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, लेकिन तीन याचिकाकर्ताओं गैरसरकारी संस्था पीयूसीएल (पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज), जम्मू एंड कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और एक हस्तक्षेप अर्जीकर्ता ने मांग की थी कि पूर्व में दिए गए फैसले प्रेमनाथ कौल बनाम जम्मू एवं कश्मीर (1959) और संपत प्रकाश बनाम जम्मू एवं कश्मीर (1970) एक दूसरे के विरोधाभासी हैं।

दोनों फैसलों को विरोधाभासी बताया पेज3