उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर राजधानी लखनऊ में लगे पोस्टरों के मामले में योगी सरकार को झटका लगा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उससे ये पोस्टर हटाने को कहा है. अदालत ने इस कदम को अवैध और मानवाधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए लखनऊ प्रशासन से 16 मार्च तक इस मामले में रिपोर्ट भी तलब की है.
पुलिस-प्रशासन द्वारा लगाए गए इन पोस्टरों में 53 लोगों के नाम, उनकी तस्वीरें और उनके पते छपे हैं. इनमें पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी और सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जफर समेत कई चर्चित नाम भी हैं. लखनऊ प्रशासन और पुलिस के मुताबिक ये लोग पिछले साल सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल थे. उसका यह भी कहना है कि प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान की इन लोगों से भरपाई के लिए ये पोस्टर लगाए गए हैं.
सीएए के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी हिंसा हुई थी और इस दौरान एक शख्स की मौत हो गई थी. इसके बाद पुलिस ने आरोपितों से ही सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई का फरमान सुनाया. मामले के आरोपितों के पोस्टर भी लगा दिए गए. इन पोस्टरों में से एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रहे एसआर दारापुरी का भी था जो सीएए का मुखरता से विरोध करते रहे हैं. हाईकोर्ट ने रविवार को यानी छुट्टी वाले दिन इस केस में सुनवाई करते हुए सोमवार को आदेश जारी करने की बात कही थी. अदालत ने स्वयं इस मामले का संज्ञान लिया था.
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