कोरोना वायरस से भारत में अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं. 137 लोग इससे संक्रमित हैं. इसके बावजूद कह सकते हैं कि भारत अब तक अपेक्षाकृत भाग्यशाली रहा है. हमारे पड़ोसी चीन और दुनिया में कोरोना वायरस 4600 से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. करीब सवा लाख लोग इससे संक्रमित हैं.
भारत में कोरोना वायरस के मामलों की कम संख्या देखते हुए कई दावा कर रहे हैं कि यहां लोगों की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है इसलिए कोरोना का असर कम ही रहेगा. कई इतिहास का हवाला देते हुए यह भी कह रहे हैं कि फ्लू पैदा करने वाले वायरसों का भारतीय आबादी पर ज्यादा असर नहीं होता. हालांकि ये दोनों ही दावे गलत हैं. कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि यात्रा और खेल आयोजनों पर पाबंदियां लगाना पागलपन है.
नि:संदेह भारत ने कुछ बड़े कदम उठाए हैं. कुछ अपवादों को छोड़कर विदेश से आने वाले सभी लोगों के वीजा निलंबित कर दिए गए हैं. यानी देश को एक लिहाज से बाकी दुनिया से अलग-थलग कर दिया गया है. इसके अलावा कई राज्यों ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है. इसके बाद सरकारों को बीमारी से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने का अधिकार मिल जाता है. उदाहरण के लिए दिल्ली ने सभी शिक्षण संस्थानों और सिनेमाघरों को महीने के आखिर तक के लिए बंद कर दिया है. केरल यह काम पहले ही कर चुका है. आईपीएल को भी 15 अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है.
ये काफी बड़े कदम हैं जिनके चलते उथल-पुथल मच गई है. एक महीने के लिए भारत को विदेशियों के लिए बंद करने के बड़े आर्थिक परिणाम होंगे. इसी तरह कई अहम आयोजन रद्द करने से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर चोट पड़ेगी और सरकार को इस समस्या से निपटने के भी इंतजामों के बारे में सोचना होगा.
लेकिन इन बड़े कदमों के पीछे एक सीधा सा कारण है और वह यह है कि कोरोना वायरस बहुत तेजी और आसानी से फैल रहा है. महज 20 दिन के भीतर इटली में इसके मरीजों की संख्या 10 से 10 हजार तक पहुंच गई. ईरान, दक्षिण कोरिया और स्पेन जैसे एक-दूसरे से बहुत दूर बसे देशों में भी यही पैटर्न देखा गया है.
#COVID19 early signs of expansion in India. Italy cases grew from 9 (feb22) to 10.1K (mar11) over 18d at a daily growth of 47.72%. At > 40%, cases 2x every 2 days. India official cases grew from 6->74 in 8d at daily growth of 36.9%. Social distancing most effective - do it now! pic.twitter.com/x80TMnueza
— Hemant Mohapatra (@MohapatraHemant) March 12, 2020
कोरोना वायरस के बारे में अभी बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि जिस तरीके से यह फैला है उसका अध्ययन कर इंग्लैंड की साउथहैंप्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कुछ निष्कर्ष निकाले हैं. इन शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकारों द्वारा उठाए गए बड़े कदमों की समीक्षा की है और बताया है कि उनका कोरोना वायरस के प्रसार पर क्या असर हुआ.
फरवरी के आखिर तक चीन में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या 114325 थी. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर वहां की सरकार शुरुआत में ही कड़ी स्वास्थ्य जांच, संक्रमित लोगों को अलग-थलग करने और यात्रा प्रतिबंध जैसे उपाय नहीं करती तो यह आंकड़ा इससे 67 गुना ज्यादा होता. और अगर ये कदम एक हफ्ते पहले उठा लिए जाते तो यह आंकड़ा 66 फीसदी कम हो सकता था.
कोरोना वायरस से निपटने की दिशा में जो कदम सबसे प्रभावी रहा है वह है शुरुआत में ही संक्रमित व्यक्ति की पहचान और फिर उसे आइसोलेट यानी अलग-थलग किया जाना. भारत भी इस पर काफी ध्यान दे रहा है. उन लोगों का पता लगाया जा रहा है कि जो कोरोना वायरस से ग्रस्त देशों से यहां पहुंचे हैं और उनका भी जो उनके संपर्क में आए हैं. यह काम कितना प्रभावी तरीके से हो रहा है वह अलग बहस का विषय है, लेकिन कम से कम सरकार की नीति स्पष्ट है.
कम से कम सामाजिक संपर्क
दूसरा सबसे प्रभावी कदम रहा है सामाजिक संपर्क कम करना यानी सोशल डिस्टेंसिंग ताकि वायरस को आसानी से फैलने से रोका जा सके. इसमें सिनेमा जाने से लेकर छुट्टियों में घूमने के कार्यक्रम टालना भी शामिल है. यह भी जरूरी है कि भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाया जाए. बहुत से लोग इसे पागलपन कह सकते हैं, लेकिन यह जरूरी है ताकि हालात काबू से बाहर न जाएं और आखिर में ऐसा आपको मजबूरी में न करना पड़े.
सामाजिक संपर्क कम करना क्यों जरूरी है इसे इस तरह से समझें. हो सकता है कि आपको कोरोना वायरस संक्रमण हो और आप इसे सामान्य खांसी-जुकाम समझ रहे हों. अगर आपकी उम्र 50 साल से कम है और आपको डायबिटीज जैसी कोई दिक्कत नहीं है तो आपके लिए यह उतनी घातक स्थिति नहीं होगी. आपके इससे उबरने की संभावना काफी ज्यादा है. लेकिन अगर आप लापरवाही करते हैं तो यह बीमारी आपसे ऐसे लोगों में भी फैल सकती है जिनके लिए यह जानलेवा होगी. कई शोधकर्ताओं के मुताबिक आखिर में दुनिया की 40 से 70 फीसदी आबादी को कोरोना वायरस की चपेट में आना ही है. तो ऐसे में आपको पूरी एहतियात बरतनी होगी कि आपके माता-पिता, दादा-दादी या उनकी उम्र के लोग या फिर डायबिटीज जैसी दिक्कतों से जूझ रहे आपके दोस्त सुरक्षित रहें.
घबराएं नहीं, लेकिन अतिआत्मविश्वास का शिकार भी न हों
यह सही है कि कोरोना वायरस ज्यादातर लोगों के लिए कोरोना वायरस का संक्रमण किसी आम खांसी-जुकाम जैसा ही होगा. इसमें मृत्यु दर महज 3.4 फीसदी है. लेकिन सोचिए भारत जैसे देश में इसका क्या मतलब होगा. इसका मतलब होगा दसियों लाख मौतें. एक सदी पहले हिस्पैनिक फ्लू में भारत में कम से कम एक करोड़ लोगों की जान ले ली थी. इसके अलावा इलाज के लिहाज से ही देखें तो पहले से ही नाकाफी हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौतीपूर्ण स्थिति खड़ी हो जाएगी.
अगर सबको एक साथ ही यह बीमारी हो जाए तो आप कहां जाएंगे!
एक अध्ययन बताता है कि क्रिटिकल केयर के लिहाज से भारत में प्रति एक लाख लोगों की आबादी पर औसतन 2.3 बेड ही उपलब्ध हैं. इटली में यह आंकड़ा 12.5 है जबकि दक्षिण कोरिया में 10.6 और ईरान में 4.6. चीन के बाद इन तीनों देशों पर कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार पड़ी है और उन्हें हालात पर काबू पाने के लिए असाधारण कदम उठाने पड़े हैं.
यहीं पर सोशल डिस्टेसिंग से मदद मिलती है. यानी घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन ऐसे व्यावहारिक कदम जरूर उठाने होंगे जिससे वायरस का प्रसार रोका या धीमा किया जा सके. अगर एक बड़ी आबादी ऐसा करने लगे तो कोरोना वायरस के मामलों की संख्या को काफी सीमित और नतीजतन स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ने वाला बोझ कम किया जा सकता है. यह बात जरूर है कि भारत जैसे देश में यह काम काफी मुश्किल है जहां संयुक्त परिवार अब भी ठीक-ठाक तादाद में हैं. ऊपर से घनी बस्तियां जैसे कई दूसरे कारक इस काम को काफी चुनौतीपूर्ण बना देते हैं.
लेकिन यह मानसिकता महंगी पड़ेगी कि सब चलता रहता है. खासकर तब कि 100 से ज्यादा देशों में फैला यह वायरस साढ़े चार हजार से ज्यादा जिंदगियां लील चुका है. इसलिए अगर संभव है तो घर से काम कीजिए. भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचिए. दुकान पर तब जाइये जब वहां कम से कम लोग हों. सोशल डिस्टेंसिंग में ऑनलाइन डिलिवरी से बचना भी शामिल है क्योंकि हो सकता है डिलिवरी लाने वाला बीमारी आपके घर लेकर आ रहा हो.
दूसरों के बारे में भी सोचिए. अपने पड़ोसियों को हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व समझाइए. अपने परिवार खासकर बुजुर्गों को याद दिलाइये कि उन्हें भीड़-भाड़ से दूर रहना है. यह भी सुनिश्चित करिए कि आपके आसपास के लोगों को पता रहे कि बीमार होने पर उन्हें क्या करना है. वाट्सएप और दूसरे सोशल मीडिया पर आने वाले हर ज्ञान पर भरोसा मत करिये. सूचनाओं की पुष्टि करिये. (सरकार जो सूचनाएं दे रही है उन्हें इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है)
यह सब आपको हौवा खड़ा करने जैसा लग सकता है. लेकिन यह बाद में अफसोस करने से बेहतर है.
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