‘मुझे ईमानदारी से यह बताइए कि जब आप कोरोना के बारे में सोचते हैं तो क्या आपको किसी जाति, नस्ल, धर्म या पंथ का ख्याल आता है?’ फिल्मकार और लेखक अनुभव सिन्हा ने बीते इतवार को अपने ट्विटर अकाउंट पर यह सवाल पूछा था. बेशक, इसके जवाब में भी उन्हें नापसंद करने वाले उन्हें ट्रोल कर रहे थे लेकिन इसके बावजूद तमाम और लोगों के साथ उनका जवाब भी नहीं में ही था. अनुभव सिन्हा जैसी ही बात सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह वीडियो भी कहता है.

‘कोरोना वाला गाना’ कैप्शन के साथ इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया गया यह वीडियो बीते दो दिनों से अपने खूबसूरत संदेश के चलते चर्चा बटोर रहा है. शाहरुख खान की फिल्म ‘चलते-चलते’ के गाने ‘सुनो ना, सुनो ना’ की यह पैरोडी तेजस गंभीर ने तैयार की है. तेजस के इंस्टाग्राम अकाउंट और फेसबुक पेज की मानें तो वे एक गीतकार-संगीतकार और गायक हैं. इसके अलावा वे पुणे में ‘अमृतांश’ नाम का एक म्यूजिक बैंड चलाते हैं. तेजस के टैलेंट की झलक उनके इंस्टाग्राम अकाउंट से भी मिलती है जहां उन्होंने ऐसी कई छोटी-छोटी क्लिप्स शेयर की हुई हैं. उनके वायरल हो चुके गाने पर लौटें तो यह कोरोना के असर, उसकी वजह से लेकर उसके चलते जीवन दर्शन तक की बात बहुत क्रिएटिव और सुरीले बोलों के साथ करता है. और, यह याद रखने पर मजबूर करता है कि अगर एक वायरस का असर हर जात, मजहब, नस्ल के लोगों पर एक सा है तो इसका मतलब है कि उनके बीच की तमाम दूरियां और फर्क बेमानी हैं.

वैसे, सोशल मीडिया पर यह देखना दिलचस्प है कि एक तरफ जहां अनुभव सिन्हा या तेजस गंभीर जैसे लोग, कोरोना के बहाने इंसानों के बीच फर्क न होने की बात कह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ अलग-अलग धार्मिक संस्थाओं में चल रही गतिविधियां भी जरा उलटबांसी वाले तरीके से यह बात दोहराती नज़र आती हैं. जरा तल्खी के साथ कहें तो फिलहाल भाईचारे के संदेश और कोरोना के डर के अलावा अगर हर धर्म में कोई एक जैसी बात दिखाई दे रही है तो वह मूर्खता है. इस टिप्पणी की वजह बनी तस्वीरों को आप नीचे देख सकते हैं –