चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब भारत में भी तेजी से पैर पसार रहा है. शुक्रवार तक देश में इससे 223 लोग संक्रमित हो चुके हैं और चार लोगों की जान जा चुकी है. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए केंद्र और राज्यों की सरकारों ने एहतियातन कई बड़े कदम उठाये हैं. इन क़दमों के तहत देश के कई राज्यों में धारा-144 भी लागू कर दी गयी है.
धारा-144 क्या है और इसे लागू किये जाने मकसद आखिर क्या होता है?
दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-144 शांति कायम करने या किसी आपात स्थिति से बचने के लिए लगाई जाती है. यह किसी क्षेत्र में पांच या उससे ज्यादा लोगों को इकट्ठा होने से रोकती है. धारा-144 लागू किए जाने के बाद किसी को भी सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, खेल और व्यापारिक समारोह का आयोजन करने की अनुमति नहीं होती है. अधिकांश मामलों में इसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब किसी घटना के बाद समाज में उपद्रव होने की आशंका होती है. किसी इलाके में धारा-144 लागू होने के बाद अगर कुछ लोग इकट्ठा होते हैं या कोई गैर कानूनी सभा करते हैं तो इन लोगों को दंगा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता है. किसी इलाके में धारा-144 लागू करने का अधिकार वहां के जिलाधिकारी के पास होता है.
धारा 144 के अंतर्गत कुछ और भी ऐसी गतिविधियों, कार्यों और घटनाओं के संचालन को प्रतिबंधित किया जा सकता है, जिन्हें साधारण परस्थितियों में नियमित रूप से करने की अनुमति होती है. उदाहरण के लिए शैक्षणिक संस्थान, दूरसंचार और इंटरनेट सेवायें आदि. इसके अलावा जिस इलाके में धारा-144 लागू की गयी है, वहां लाइसेंस वाले हथियारों को रखने और ले जाने को प्रतिबंधित किया गया है.
सीआरपीसी की धारा-144 में सजा का भी प्रावधान है. इसमें साफ़ तौर पर लिखा है कि गैर कानूनी तरीके से जमा होने वाले किसी भी व्यक्ति को या धारा के अंतर्गत लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को अधिकतम तीन साल कैद की सजा हो सकती है.
धारा-144 को दो महीने से ज्यादा समय तक नहीं लगाया जा सकता है. लेकिन अगर राज्य सरकार को लगता है कि आम लोगों के जीवन, स्वास्थ या सुरक्षा को खतरा है, तो इसकी अवधि को और बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा किसी दंगे की स्थिति को टालने के लिए भी इसकी अवधि को बढ़ाया जा सकता है. लेकिन इन स्थितियों में भी इसे केवल चार महीने ही और बढ़ाया जा सकता है. इसका मतलब यह हुआ कि धारा-144 को कुल छह महीने तक लागू किया जा सकता है.
कर्फ्यू और धारा 144 में क्या अंतर है?
देश की एक बड़ी आबादी धारा 144 लगने के बाद की स्थिति को ही कर्फ्यू की स्थिति मानती है. लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. धारा 144 का मकसद चार से ज्यादा लोगों को इकट्ठा होने से रोकना है. जबकि कर्फ्यू बहुत ही खराब हालात में लगाया जाता है और इसका मकसद लोगों को एक खास समयावधि तक अपने घरों के अंदर रखना होता है. कर्फ्यू में शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ बाजार और यातायात को भी पूरी तरह बंद कर दिया जाता है. इस स्थिति में प्रशासन द्वारा समय-समय पर सिर्फ आवश्यक सेवाओं को ही जारी रखने की अनुमति दी जाती है. कर्फ्यू के दौरान किसी को भी अपने घर से बाहर जाने से पहले स्थानीय पुलिस और प्रशासन की इजाजत लेना अनिवार्य है.
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