50 साल के सैय्यद करीम अफगानिस्तान के बगलान प्रांत में रहते हैं. बीते मार्च के एक शुक्रवार को जब वे नमाज के लिए अपने गांव की मस्जिद में गए तो उन्होंने वहां एक अलग ही नजारा देखा. मध्यपूर्व के एक समाचार पत्र को करीम बताते हैं कि तालिबान के लड़ाके मुंह पर मास्क और हाथों में दस्ताने पहने मस्जिद में मौजूद थे. नमाज पढ़ने के बाद इन्होंने सभी नमाजियों को कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी. इन्होंने लोगों को घरों में रहने, बार-बार हाथ धोने और कहीं भीड़ न जुटाने की सलाह दी. तालिबानी लड़ाकों ने सभी गांव वालों को आगे से घर पर ही नमाज पढ़ने को कहा.
अफगानिस्तान के जॉवजान प्रांत के एक गांव में रहने वाले 55 साल के खैरुल्लाह भी ऐसा ही कुछ बताते हैं. अलजजीरा से बातचीत में वे कहते हैं, ‘मेरे गांव में तालिबान ने एक विशेष कैंप लगाया जिसमें तालिबानी लड़ाके पीपीई किट पहने हुए थे. कैंप में गांव वालों को कोरोना से बचने के तरीके बताए गए.’ सभी को कहा गया कि जो लोग पड़ोसी देश ईरान से वापस आ रहे हैं, उनके बारे में तालिबान की स्थानीय शाखा को तुरंत सूचित किया जाए. खैरुल्लाह के मुताबिक ईरान से आ रहे लोगों को 20 दिनों के लिए तुरंत घर में क्वारंटीन किया जा रहा है और तालिबान की तरफ से ही उनकी जांच भी करवाई जा रही है.
तालिबान की ओर से बगलान प्रांत में कोरोना वायरस मामलों की जिम्मेदारी संगठन के सदस्य खालिद हिजरान संभाल रहे हैं. हिजरान एक साक्षात्कार में कहते हैं, ‘हमारे (तालिबान के) स्वास्थ्य आयोग की तरफ से निर्देश आये हैं कि जिन प्रांतों में संगठन का कब्जा है, वहां कोरोना वायरस को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जाए. लोगों की मदद की जाए... हम घर-घर में पंपलेट बांट रहे हैं, लोगों को जागरूक कर रहे हैं.’ हिजरान आगे कहते हैं कि बगलान में हम अब तक सैकड़ों लोगों के कोरोना टेस्ट कर चुके हैं. लोगों के घरों में फल और सब्जियां भी पहुंचा रहे हैं.
अफगानिस्तान मामलों के कुछ पत्रकार बताते हैं कि कोरोना वायरस से लड़ाई में तालिबान अफगान सरकार से कहीं बेहतर काम कर रहा है. सरकार के पास पीपीई किट की बड़ी कमी देखने में आयी है, लेकिन आतंकी संगठन के पास ऐसी कोई समस्या नहीं है. तालिबान की ओर से एक हजार के करीब पीपीई किट बगलान प्रांत में भेजी गई हैं. ये लोग कहते हैं कि कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां यह आतंकी संगठन सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों की भी मदद कर रहा है. कई जगहों पर जो लोग क्वारंटीन से भागे, उन्हें भी तालिबानी लड़ाके ही पकड़कर वापस लाये.
बीते मार्च में तालिबान ने अपने कब्जे वाले इलाकों में रेड क्रॉस जैसी अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं को भी आने की छूट दे दी. अफगानिस्तान के कुछ स्थानीय पत्रकारों की मानें तो शुरू में अफगानिस्तान के लोगों को चिंता थी कि जब अमेरिका जैसे देश कोरोना से नहीं लड़ पा रहे हैं तो गृह युद्ध से जूझ रहे अफगानिस्तान का क्या होगा? लेकिन तालिबान के मोर्चा संभाल लेने के बाद उनमें इस मुश्किल से पार पाने की उम्मीद जाग गयी है.
अफगानिस्तान की ही तरह मध्यपूर्व और अफ्रीका के कई देशों में भ्रष्टचार, आतंकवाद और कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते सरकारें कोरोना महामारी से लोगों को बचाने में असफल होती दिख रही हैं. तालिबान की तरह ही इन देशों में भी आतंकी संगठन, विद्रोही गुट और अपराधी गिरोह कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आगे आये हैं. इनमें से कई यह काम सरकार से बेहतर ढंग से कर रहे हैं.
ब्राजील में ‘सिटी ऑफ़ गॉड’ के गैंग एकजुट हुए
ब्राजील के रियो डी जिनेरियो में स्थित ‘सिटी ऑफ़ गॉड’ दुनिया की सबसे बड़ी स्लम बस्तियों में से एक है. यह सैकड़ों किलोमीटर में फैली हुई है. ब्राजील में शराब और ड्रग्स के सबसे बड़े तस्कर गैंग इसी बस्ती में रहते हैं. यह बस्ती गैंगवॉर्स के लिए भी चर्चित है. यहां होने वाले भीषण गैंगवॉर दुनिया भर के अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं. बीते महीने ‘सिटी ऑफ़ गॉड’ में कोरोना वायरस का एक संक्रमित पाया गया. लेकिन, ब्राजील की सरकार द्वारा इसके बाद भी बस्ती में जागरूकता अभियान, कोरोना की जांच या लॉकडाउन जैसा कोई कदम नहीं उठाया गया. ब्राजीली अखबार ‘एक्स्ट्रा’ के मुताबिक इसके बाद ‘सिटी ऑफ गॉड’ के तमाम गैंग्स ने दुश्मनी भुलाकर मोर्चा संभाला और पूरी बस्ती में कर्फ्यू की घोषणा कर दी. यहां लोगों को चेतावनी दी गयी है कि अगर वे घरों से बाहर निकले तो उन्हें कठोर सजा दी जायेगी. इन गैंग्स की तरफ से कर्फ्यू के दौरान लोगों की मदद भी की जा रही है.
लेबनान में हिजबुल्लाह ने कमर कसी
लेबनान में आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए कमर कस ली है. संगठन ने 1,500 डॉक्टर, 3,000 नर्स और पैरामेडिक्स और अपने 20,000 से अधिक लड़ाके कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लगाए हैं. हिजबुल्लाह के लड़ाके पूरे देश में सैनिटाइजेशन का काम भी संभाले हुए हैं और कई तरह से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. हिजबुल्लाह के कार्यकारी परिषद के प्रमुख सैय्यद हश्म सफीदीन एक साक्षात्कार में कहते हैं, ‘कोरोना वायरस कोई छोटी-मोटी महामारी नहीं है... यह एक वास्तविक युद्ध है, हमें एक योद्धा की मानसिकता लेकर इसका सामना करना होगा.’
हिजबुल्लाह के लेबनान में कई अस्पताल भी हैं जिनमें कोरोना वायरस का मुफ्त परीक्षण और इलाज किया जा रहा है. संगठन ने देश में कई होटलों को भी किराए पर ले रखा है, जिनमें लोगों को क्वारंटीन किया जा रहा है.
अलकायदा का मुसलमानों को संदेश
दुनिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन अलकायदा ने बीते हफ्ते कोरोना वायरस को लेकर छह पन्नों का एक पत्र जारी किया. इसमें दुनिया भर के मुसलमानों को सावधानी बरतने की सलाह दी गयी है. यह भी कहा गया है कि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपने जाल में जकड़ लिया है और यह मुस्लिम जगत में भी छा रहा है. संगठन ने मुस्लिम देशों को चेताते हुए आगे कहा है, ‘इस वायरस का मुस्लिम देशों में फैलना हमारे पाप, अश्लीलता और नैतिक भ्रष्टाचार का नतीजा है.’
अल-शबाब सोमालिया
अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में स्थित सोमालिया के आतंकी संगठन अल-शबाब का देश के कई हिस्सों पर कब्जा है. यह संगठन वहां की सरकार जिसे अमेरिकी वायुसेना का समर्थन हासिल है, के खिलाफ सालों से लड़ रहा है. बीते महीने संगठन के बड़े कमांडरों के बीच एक बैठक हुई जिसके बाद मुसलमानों के लिए कोरोना वायरस बचने के दिशा-निर्देश जारी किये गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-शबाब के कब्जे वाले इलाकों में सरकारी एजेंसियों की पहुंच नहीं है, इस वजह से इन इलाकों में आतंकी संगठन ने ही कोरोना वायरस के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है.
हमास और लीबियाई विद्रोही
इस्लामिक ग्रुप हमास का इजरायल में गाजा पट्टी पर कब्जा है. इस संगठन ने भी कोरोना से निपटने के लिए कई तरह से तैयारी की है. हमास ने लॉकडाउन और कोरोना वायरस के बारे में जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ यहां कोरोना की जांच की व्यवस्था भी की है और गाजा पट्टी में दो बड़े क्वारंटीन सेंटर भी खोले हैं.
उधर उत्तरी अफ्रीकी देश लीबिया में विद्रोही गुट ने अपने कब्जे वाले इलाकों में एहतियात के तौर पर शाम के छह बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगा दिया है.
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