असम हर साल की तरह इस बार भी भारी बाढ़ का सामना कर रहा है. बीते कई हफ्तों से यहां के 33 में से 24 जिलों में भारी बारिश जारी है. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि ‘बाढ़ ने 70 लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया है. आमलोगों के साथ-साथ मवेशियों के बचाव का काम भी चल रहा है. उन्हें रिलीफ कैंप्स या सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है.’ एजेंसी से बात करते हुए सीएम सोनोवाल का यह भी कहना था कि ‘एक तरफ जहां लोग कोविड-19 जैसी महामारी से जूझ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ असम में आई बाढ़ ने उनकी चुनौतियों को कई गुना बढ़ा दिया है. इसके बावजूद लोग इसका डटकर सामना कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकारें भी इसमें मदद कर रही हैं.’
बीते रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को फोन कर बाढ़ और महामारी के कारण बिगड़े हालात की जानकारी ली थी. इस बातचीत का जिक्र करते हुए सीएम सोनावाल ने बताया है कि ‘पीएम ने कहा है कि केंद्र सरकार असम की स्थिति पर नज़र बनाए हुए है और इस मुश्किल समय में लोगों के साथ खड़ी है.’
उधर, केंद्रीय जल आयोग ने अपने ताज़ा अलर्ट में बताया है कि नदियों में उच्च जलस्तर की भयावह स्थिति आगे भी बन रह सकती है. असम में ब्रह्मपुत्र, धनसिरी, जिया भराली, कोपिली, बेकी, कुसियारा और संकोष जैसी नदियां कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. जल आयोग का यह भी कहना है कि मंगलवार शाम को ब्रह्मपुत्र के जलस्तर में और बढ़ोत्तरी हो सकती है. दो हफ्ते पहले ब्रह्मपुत्र के जल स्तर में बढ़त के चलते ढाई हजार से अधिक गांव डूब गए थे. बाढ़ से बुरी तरह प्रभावितों इलाकों की बात करें तो जिला गोवालपारा में सबसे ज्यादा 4.53 लाख लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हुआ है. इसके बाद बारपेटा में 3.44 लाख और मोरीगांव में 3.41 लाख लोगों पर बाढ़ का सबसे अधिक असर है.
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