1- मोदी सरकार ने बीते दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का ऐलान किया. इसमें एक सुझाव यह भी है कि पांचवीं से आठवीं क्लास तक बच्चों को अपनी मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या घरेलू भाषा में शिक्षा दी जाए. इशारा इसी तरफ है कि अंग्रेजी की जगह घरेलू भाषाओं को ही धुरी बनाया जाए. इस मुद्दे को लेकर द प्रिंट हिंदी पर शेखर गुप्ता की टिप्पणी.

मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति वास्तविकता से कोसों दूर है, भारतीय वोटर अंग्रेजी मीडियम की शिक्षा चाहता है

2-27 जुलाई 1953 को कोरिया युद्ध समाप्त होने के बाद जब शांति समझौता हुआ तो बंदी बनाे गए दक्षिण कोरिया के सैनिकों को उम्मीद थी कि वे जल्द ही युद्धबंदियों की अदला-बदली में अपने देश लौट जाएंगे. लेकिन उत्तर कोरिया ने बंदी बनाए गए सैनिकों में से कुछ को ही वापस भेजा. जल्दी ही दक्षिण कोरिया भी बंदी बनाए गए अपनै सैनिकों को भूल गया. बीबीसी पर सुबिन किम की रिपोर्ट.

कोरियाई युद्ध: उत्तर कोरिया में बंद हज़ारों युद्धबंदियों का दर्द

3- गैंगस्टर विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति बनाई है. लेकिन इसके दो सदस्यों के पारिवारिक रिश्तों के कारण इस मामले में हितों के टकराव की स्थिति दिख रही है और नतीजतन निष्पक्ष जांच की संभावनाओं को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. द वायर हिंदी पर शरत प्रधान की रिपोर्ट.

विकास दुबे एनकाउंटर: क्या जांच समिति सदस्यों के पारिवारिक संबंधों के चलते निष्पक्ष जांच होगी?

4-आज से कुछ सालों पहले तक हम इंटरनेट के बिना अच्छी खासी जिंदगी बिता रहे थे, लेकिन अब हम इसके न होने की कल्पना भी नहीं कर सकते. कोरोना वायरस संकट के चलते जब दुनिया सिमट गई तो इंटरनेट की दुनिया ही लोगों के लिए सहारा बनकर आई. डॉयचे वेले हिंदी पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट.

लॉकडाउन के दौरान इंटरनेट ना होता, तो क्या होता?

5- उत्तराखंड में बन रही चार धाम आल वेदर रोड परियोजना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. आरोप है कि कई इलाकों में इस परियोजना पर पर्यावरणीय स्वीकृति के बगैर और शर्तों के सरेआम उल्लंघन के साथ काम चल रहा है. माना जा रहा है कि अगर ऐसा ही रहा तो पहाड़ी क्षेत्रों विशेषकर संवेदनशील हिमालयी घाटियों को अपूरणीय क्षति पहुंचना तय है. डाउन टू अर्थ हिंदी पर एसपी सत्ती की टिप्पणी.

चार धाम मार्ग परियोजना: पर्यावरणीय विभीषिका के पीछे बुनियादी चूक और वैज्ञानिक मूक