1-भारतीय रंगमंच की दुनिया के दिग्गज इब्राहिम अल्काज़ी का बीते हफ्ते निधन हो गया. प्रशिक्षण और काम के उनके तौर तरीकों ने आजादी के बाद के आधुनिक भारतीय रंगमंच पर अमिट छाप डाली थी. बीवी कारंथ, नसीरुद्दीन शाह और रघुवीर यादव जैसे कितने ही नामों को गढ़ने का श्रेय इब्राहिम अल्काज़ी को जाता है. उन्हें श्रद्धांजलि देता बीबीसी पर वरिष्ठ पत्रकार नासिरुद्दीन का लेख.

अल्काज़ी साहेब न होते तो हम क्या बनते, पता नहीं

2-भाजपा के उग्र हिंदुत्व की काट कांग्रेस नरम हिंदुत्व में देख रही है. द प्रिंट हिंदी पर अपने इस लेख में यूसुफ किरमानी का मानना है कि उसके इस रवैये ने भारत के मुसलमानों को दोराहे पर खड़ा कर दिया है और अब उनके लिए कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हो गए हैं. क्या यह स्थिति किसी तीसरी ताकत को फायदा पहुंचा सकती है?

कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व और ओवैसी के लिए राजनीतिक संभावनाएं

3-हाल में चीन ने जापान को धमकी दी वह सेनकाकू के इर्द-गिर्द मछली पकड़ने वाली अपनी दर्जनों नौकाएं भेजेगा और अगर जापान में दम है तो उन्हें पकड़ ले. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले कुछ हफ्तों में चीन वाकई में ऐसा कदम उठा सकता है. चीन पिछले कई महीनों ने सेनकाकू क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है. यह द्वीप समूह जापान के नियंत्रण में है, लेकिन चीन और ताइवान भी इस पर अपना दावा करते रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर डॉयचे वेले हिंदी पर राहुल मिश्र की रिपोर्ट.

अब जापान से क्यों उलझ रहा है चीन?

4-आज विश्व आदिवासी दिवस है. इस मौके पर आदिवासी नाचते-गाते हैं. लेकिन द वायर हिंदी पर अपने इस लेख मे जसिंता केरकेट्टा का मानना है कि इस बदलते दौर में सिर्फ इतने से काम नहीं चलेगा, आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति और जीवन-मूल्य को समझना होगा. साथ ही उसे अपने समाज की कुरीतियों और कमियों से लड़ने से लेकर भीतर और बाहर रूढ़िवादी विचारधाराओं को तोड़ने का काम भी खुद ही करना होगा

विश्व आदिवासी दिवस: ये आदिवासियों के लिए ख़ुद से सवाल पूछने का समय है

5-नक्सलवाद से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में प्रशासन ने नक्सलियों के आत्मसमर्पण और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए एक नई योजना शुरू की है. लेकिन इसने कई आदिवासियों के लिए दोहरी मुसीबात खड़ी कर दी है. न्यूजलॉन्ड्री हिंदी पर प्रतीक गोयल की रिपोर्ट.

छत्तीसगढ़ में नक्सली आत्मसमर्पण का गोरखधंधा