कश्मीर प्रिंसेज एयर इंडिया का एक चाटर्ड एयरक्राफ्ट था जो 1955 में एक बम धमाके में क्रैश हो गया था. यह उस दशक की बात है जब पूरी दुनिया साम्यवादी और गैर-साम्यवादी खेमों में बंट रही थी. भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू एशिया और अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देशों को दोनों खेमों की खींचतान से बचाने के लिए इंडोनेशिया के बाडुंग में एक सम्मेलन आयोजित करवा रहे थे. यह सम्मेलन अप्रैल, 1955 में आयोजित होना था.
नेहरू चाहते थे कि इस सम्मेलन में चीन के राष्ट्रप्रमुख चाऊ एन लाई भी शामिल हों और उन्होंने इसके लिए चाऊ को सहमत भी कर लिया था. लेकिन अप्रैल में इस सम्मेलन के शुरू होने ठीक तीन दिन पहले एक ऐसी घटना हुई जिसने साबित कर दिया कि इस सम्मेलन के खिलाफ कुछ देशों में विरोध पनप रहा है.
चाऊ एन लाई को बांडुंग पहुंचाने के लिए भारत से एक विशेष चाटर्ड विमान कश्मीर प्रिंसेज हांगकांग भेजा गया था. लेकिन ऐन मौके पर चीन के राष्ट्रप्रमुख ने अपनी योजना बदल दी. यह विमान उनके बिना ही कुछ विदेशी पत्रकारों और भारतीय क्रू के सदस्यों के साथ बांडुंग रवाना हो गया. लेकिन इससे पहले कि कश्मीर प्रिंसेज वहां पहुंचता बीच हवाई मार्ग में ही उसमें एक बम धमाका हुआ और विमान क्रैश हो गया इसमें सवार तकरीबन बीस लोग मारे गए.
इस घटना के पीछे तुरंत साजिश की आशंका जताई जाने लगी. चीन की सरकारी एजेंसियों ने दावा किया कि यह चाऊ एन लाई को मारने की साजिश थी और इसके पीछ पश्चिमी देश हैं. इंडोनेशिया की जांच एजेंसियों ने इस मामले की जांच की और उन्हें विमान के मलबे में एक अमेरिकी बम के अवशेष मिले. हालांकि वे यह साबित नहीं कर पाए कि इस घटना के पीछे अमेरिकी एजेंसियों का हाथ है. यह भारतीय विमान था और यह संभावना भी जताई जा रही थी कि इस साजिश में नई दिल्ली के अमेरिकी एजेंट शामिल हैं. इसलिए भारतीय जांच एजेंसियों ने भी इस मामले की जांच की. हालांकि यह जांच कभी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच पाई.
इन घटनाओं के बाद भी आखिरकार बांडुंग सम्मेलन आयोजित हुआ जो आगे चलकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन की बुनियाद बना.
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