1-कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. इसके तहत गुलाम नबी आज़ाद समेत चार वरिष्ठ नेताओं को महासचिव की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है. साथ ही कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्लूसी) का भी पुनर्गठन हुआ है. इस बदलाव को लेकर बीबीसी हिंदी पर अपर्णा द्विवेदी की टिप्पणी.

राहुल गांधी की कितनी छाप है कांग्रेस के नए बदलाव पर

2-केंद्र और राज्यों की सरकारें जीएसटी को लेकर विवाद में उलझी हैं. राज्यों ने जीएसटी लागू करने के लिए इस शर्त पर सहमति दी थी कि पहले पांच वर्षों में इसे लागू करने में अगर उनके राजस्व में कमी आई तो केंद्र उसकी पूरी भरपाई करेगा. ऐसा इसलिए किया गया था कि जीएसटी में ऐसे कई करों का विलय कर दिया गया जिन्हें पहले राज्य वसूलते थे. लेकिन केंद्र अब राज्यों से कह रहा है कि वे इस भरपाई के लिए उधार लें. इस पूरे विवाद को लेकर द प्रिंट हिंदी पर इला पटनायक और राधिका पांडेय की टिप्पणी.

केंद्र-राज्य के बीच जारी जीएसटी विवाद से ज्यादा जरूरी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और उधार की व्यवस्था बनाना है

3-चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश का बीते दिनों निधन हो गया. द वायर हिंदी पर अपने इस लेख में अपूर्वानंद बता रहे हैं कि वे महात्मा गांधी की परंपरा के हिंदू थे, जो मुसलमान, सिख, ईसाई या आदिवासी को अपने रंग में ढालना नहीं चाहता और उनके लिए अपना खून बहाने को तत्पर खड़ा मिलता है.

स्वामी अग्निवेश: आधुनिक आध्यात्मिकता का खोजी

4- भारत में हर साल 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जाता है. ये वनों की रक्षा में जान देने वाले कर्मियों के सम्मान में होता है. लेकिन, देश के जंगलों की हिफाजत में लगी इस रक्षा पंक्ति की परवाह सरकार को कितनी है? डॉयचे वेले हिंदी पर हृदयेश जोशी की रिपोर्ट.

जंगल बचाने वालों को कौन बचाए?

5-सुशांत सिंह राजपूत की मौत के प्रकरण की मीडिया कवरेज ने भारत में खबरों की दुनिया के गिरते स्तर पर नई बहस छेड़ दी है. इस मुद्दे को लेकर एनडीटीवी पर संकेत उपाध्याय की टिप्पणी.

मैं पोस्टमैन हूं...