भारत में बर्ड फ्लू का कहर जारी है. अभी तक 10 से ज्यादा राज्य इसकी चपेट में आ चुके हैं. कुछ राज्यों में तो यह बीमारी पोल्ट्री फार्म्स तक पहुंच चुकी है. मुर्गियों के अलावा कौओं और दूसरे जंगली पक्षियों में भी इसके मामले देखे जा रहे हैं. रोकथाम और नियंत्रण और राहत का काम लगातार चल रहा है. इसमें प्रभावित पक्षियों को मारना और किसानों को मुआवजा देना शामिल है. सरकार हालात पर कड़ी निगरानी भी रखे हुए है.

बर्ड फ्लू क्या है?

बर्ड फ्लू को एवियन (पक्षियों से जुड़ा) इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है. इन्फ्लूएंजा नाम के वायरस से होने वाला यह संक्रमण मुख्य रूप से पक्षियों को अपना शिकार बनाता है. कोविड-19 की तरह बर्ड फ्लू भी सबसे पहले चीन में सामने आया था. यह 1996 की बात है. इंसानों में बर्ड फ्लू के संक्रमण का पहला मामला 1997 में हांगकांग में देखने को मिला था. यानी फ्लू वायरसों के मामले में चीन एक साझा कड़ी है. इन संक्रमणों के पीछे इन्फ्लुएंज़ा वायरस का एच5एन1 स्ट्रेन था जो आज भी सबसे ज्यादा संक्रमणकारी माना जाता है. बाद में एच5एन2 और एच9एन2 जैसे इसके दूसरे स्ट्रेन्स के बारे में भी जानकारी मिली. बीते दो दशक में बर्ड फ्लू के चलते दसियों करोड़ पक्षियों की जान जा चुकी है. इनमें से एक बड़ी संख्या उनकी है जिन्हें संक्रमण की पुष्टि के बाद मार दिया गया. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2003 से अब तक बर्ड फ्लू ने 17 देशों में 862 इंसानों को भी अपना शिकार बनाया है जिनमें से 455 की मौत हो गई.

बर्ड फ्लू कैसे और किनमें फैलता है?

बर्ड फ्लू अब तक 60 से भी ज्यादा देशों में पांव पसार चुका है. इनमें से चीन, भारत, बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया और वियतनाम को उन देशों रखा गया है जहां यह महामारी के पैमाने पर फैल सकता है. यानी इन देशों को इससे खास सावधान रहने की जरूरत है. बर्ड फ्लू के वायरस को जलीय प्रवासी पक्षी दूर-दूर तक ले जाते हैं. ये पक्षी रास्ते में भी बीट गिराते चलते हैं जिसके संपर्क में जब दूसरे पक्षी आते हैं तो वे भी संक्रमित हो जाते हैं. इसी रास्ते से यह कभी-कभी कुत्तों, बिल्लियों, घोड़ों, सुअरों और इंसानों को भी संक्रमित कर देता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक बर्ड फ्लू का इंसानों से इंसानों में फैलना बहुत दुर्लभ है. संस्था के मुताबिक अच्छी तरह से पकाए गए मांस और अंडों से भी बर्ड फ्लू के फैलने की संभावना नहीं होती क्योंकि 70 डिग्री से ऊपर के तापमान में इसका वायरस नष्ट हो जाता है. यह जानकारी इसलिए अहम है क्योंकि इन दिनों कई लोग अंडे और चिकन के सेवन से डर रहे हैं. लेकिन अगर इन्हें अच्छी तरह से उबाल या पका लिया जाए तो बर्ड फ्लू का खतरा नहीं रहता.

तो क्या इंसानों को बर्ड फ्लू से डरने की जरूरत नहीं है?

चूंकि बर्ड फ्लू से संक्रमित 60 फीसदी तक इंसानों की मृत्यु हो जाती है इसलिए वैज्ञानिकों का एक बड़ा वर्ग इसे लेकर काफी आशंकित रहता है. दरअसल आसानी से फैलने के लिए वायरस अपने आपको बदलते रहते हैं. इस प्रक्रिया को म्यूटेशन कहते हैं. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है. जानकारों के मुताबिक हो सकता है कि निकट भविष्य में यह वायरस खुद को इस तरह से बदल ले कि इसका इंसानों से इंसानों में फैलना आसान हो जाए.

उदाहरण के लिए हो सकता है कि पक्षियों में पाया जाने वाला यह वायरस इंसानों में पाए जाने वाले किसी इंफ्लूएंजा वायरस से मिल जाए और कोई नई बीमारी ले लाए. इस नए वायरस में दोनों वायरसों के गुण हो सकते हैं. यानी यह इंसानों में पाए जाने वाले फ्लू की तरह तेजी से फैल सकता है और पक्षियों में पाए जाने वाले इसके संस्करण की तरह कहीं ज्यादा घातक हो सकता है. एक साक्षात्कार में डब्ल्यूएचओ से जुड़े डॉक्टर एस ओमी कहते हैं, ‘अगर ऐसा हुआ तो परिणाम विनाशकारी होगा क्योंकि इंसानों के पास इस नए वायरस के खिलाफ बहुत कम रोग प्रतिरोधक क्षमता होगी.’ नए इंफ्लूएंजा वायरस पहले भी व्यापक स्तर पर तबाही मचा चुके हैं. 1956-57 और 1967-68 में इनके प्रकोप ने दुनिया में कुल मिलाकर करीब 45 लाख लोगों की जान ले ली थी.

यानी आगे अगर ऐसा होता है तो इससे होने वाला नुकसान कोविड-19 की तुलना में कहीं बड़ा हो सकता है. इसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपातकालीन योजनाएं बनाई जा चुकी हैं. इनमें प्रायोगिक एच5एन1 वैक्सीनों से लेकर इससे जुड़ी एंटीवायरल दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक भी शामिल है.

बर्ड फ्लू के लक्षण

बर्ड फ्लू के कुछ लक्षण कोविड-19 से मिलते हैं. जैसे इसमें भी मरीजों को बुखार, सिरदर्द और खांसी की शिकायत होती है. कई लोग मांसपेशियों में दर्द की भी शिकायत करते हैं. संक्रमण गंभीर होने पर न्यूमोनिया में तब्दील हो सकता है और फिर कई मामलों में मरीज को कृत्रिम श्वसन प्रणाली पर ले जाना पड़ सकता है. किसी पोल्ट्री फॉर्म में बर्ड फ्लू की पहचान मुर्गियों की सुस्ती के अलावा उनकी कलगी में आई सूजन और बार-बार मलत्याग जैसे लक्षणों से की जाती है. इसके इलाज के लिए ऑसेल्टामिविर जैसी एंटीवायरल दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है.

भारत पर इसका असर

भारत में यह बीमारी पहली बार बड़े पैमाने पर 2006 में फैली थी. संक्रमण के ज्यादातर मामले महाराष्ट्र और गुजरात के पोल्ट्री फार्मों में देखने को मिले थे. फिर 2008 में पश्चिम बंगाल और 2014 में केरल में इसका प्रकोप देखने को मिला. अभी तक देश में इस बीमारी के इंसानी संक्रमण का कोई मामला देखने में नहीं आया है. सितंबर 2019 में भारत ने खुद को बर्ड फ्लू से मुक्त घोषित कर दिया था, लेकिन 2021 की शुरुआत में इसने फिर दस्तक दे दी है. राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित 23 राज्य इससे प्रभावित हैं. यानी कोरोना वायरस के चलते बीते साल सात हजार करोड़ रु से भी ज्यादा का नुकसान झेलने वाले पोल्ट्री उद्योग पर एक बार फिर गाज गिर गई है.

सावधानियां

जहां तक सावधानियों की बात है तो डॉक्टर इसके लिए मृत या बीमार पक्षियों से दूर रहने की सलाह देते हैं. जो लोग पक्षियों के कारोबार से जुड़े हैं उन्हें दस्ताने और मास्क पहनने चाहिए. आमतौर पर फ्लू वायरस हाथों को सबसे अधिक संक्रमित करते हैं. इसलिए बर्ड फ्लू के संक्रमण से बचने के लिए नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से साफ करना चाहिए. इसके अलावा एल्कोहल वाले हैंड रब का भी इस्तेमाल किया जा सकता है जो वायरस को मारने में मदद करता है. अगर आपको बर्ड फ्लू से जुड़े कोई लक्षण महसूस हो रहे हों तो जल्द से जांच करवाएं और घर पर ही रहें. घर के भीतर भी अपने आप को परिवार के किसी दूसरे सदस्य के संपर्क में न आने दें. ये तमाम सावधानियां बरतकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है.