केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को एक महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के ये किसान मांग कर रहे हैं कि इन तीनों कानूनों को वापस लिया जाए. कड़ाके की ठंड में दिल्ली से लगे सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे कई किसानों की मौत भी हुई है. लेकिन इसके बावजूद मोदी सरकार किसानों की मांगों को मानने को तैयार नहीं है. सरकार का रुख अभी तक यही रहा है कि कानून वापस तो नहीं होंगे, लेकिन उनमें कुछ सुधार किया जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों का कहना है कि सरकार किसानों के साथ खुले दिल से चर्चा के लिए तैयार है. कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है.
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन जिस समय अपना स्वरूप बड़ा करता जा रहा है और इसे समाज के लगभग सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है, उसी समय कुछ ऐसे किसान संगठन भी सामने आये हैं जिन्होंने इस आंदोलन का विरोध किया है. इन संगठनों का कहना है कि मोदी सरकार नए कृषि कानूनों के जरिये कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार करने जा रही है जोकि बेहद जरूरी थे. इनका मानना है कि तीनों नए कानून किसान के हित में हैं, इनसे किसानों की आय कई गुना तक बढ़ेगी. इन किसान संगठनों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है. इनके समर्थन पत्रों को कृषि मंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिये आम जनता से साझा भी किया है. आइये जानते हैं कि कृषि कानूनों को समर्थन देने वाले किसान संगठन और इनसे जुड़े नेताओं के बारे में.
राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन
बीते 28 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक किसान संगठन – ‘राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन’ – द्वारा नए कृषि कानूनों का समर्थन किए जाने की जानकारी दी थी. कृषि मंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘लखनऊ उत्तर प्रदेश के ‘राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन’ से नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में प्राप्त पत्र… उन्होंने कहा कि हम पूर्ण रूप से सरकार के साथ हैं.’ इस पत्र में कानून का विरोध कर रहे किसान नेताओं को फर्जी बताते हुए लिखा गया था, ‘(मोदी) सरकार द्वारा लाया गया कानून किसानों के हित में हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने वाला है.’ बाद में जब ‘राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन’ की जांच-पड़ताल की गई तो पता चला कि लखनऊ के रहने वाले राम निवास यादव जो इस संगठन के अध्यक्ष हैं, वे भाजपा से जुड़े हुए हैं. राम निवास यादव एक लंबे समय तक लखनऊ में भाजपा के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं. वे इस समय भी लखनऊ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं.
लखनऊ उत्तरप्रदेश के "राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन" से प्राप्त नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में प्राप्त पत्र...
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 28, 2020
उन्होंने कहा कि हम पूर्ण रूप से सरकार के साथ हैं...#FarmersWithModi pic.twitter.com/BbZEbg3WNb
इंडियन किसान यूनियन
‘इंडियन किसान यूनियन’ नाम के एक किसान संगठन ने भी नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है. बीते महीने इसके भी समर्थन वाला पत्र कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्विटर पर साझा किया था. संगठन ने नए कानूनों को किसान हितैषी व किसानों को आत्मनिर्भर बनाने वाला बताया और सरकार से कानूनों को वापस न लेने की अपील की. इंडियन किसान यूनियन पर अगर गौर करें तो इसके प्रमुख चौधरी राम कुमार वालिया हैं. वालिया उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर के रहने वाले हैं. कांग्रेस में काफी समय बिताने के बाद रामकुमार वालिया बीते साल अगस्त में भाजपा में शामिल हो गए थे. वालिया उत्तराखंड में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री भी रह चुके हैं.
नई दिल्ली के "इंडियन किसान यूनियन" से प्राप्त नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में प्राप्त पत्र...
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 28, 2020
उन्होंने इन कानूनों को किसान हितैषी व किसानों को आत्मनिर्भर बनाने वाला बताया...#FarmersWithModi pic.twitter.com/KQl58lFYkg
प्रगतिशील किसान क्लब
तीनों कृषि कानूनों पर समर्थन देने वाला एक संगठन ‘प्रगतिशील किसान क्लब’ भी है. इस संगठन के जिस समर्थन पत्र को कृषि मंत्री ने ट्विटर पर साझा किया था, उसमें लिखा है, ‘हम सरकार द्वारा किसानों के हित में लागू हुए कृषि कानूनों (कृषि अध्यादेशों) का समर्थन करते हैं.’ इस पत्र पर दो लोगों के हस्ताक्षर हैं, इनमें से एक बिजेंद्र सिंह दलाल हैं, जो पलवल में ‘प्रगतिशील किसान क्लब’ के अध्य्क्ष हैं. दूसरे हस्ताक्षर मानसिंह यादव के हैं, जो गुड़गांव के ‘उन्नतशील किसान क्लब’ के अध्य्क्ष हैं. बिजेंद्र सिंह दलाल भाजपा से जुड़े नहीं हैं. लेकिन ‘उन्नतिशील किसान क्लब’ के प्रमुख मानसिंह यादव भाजपा से जुड़े हुए हैं. बीते साल ही वे इंडियन नेशनल लोकदल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मानसिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भाजपा और संघ से ही की थी.
हरियाणा के "प्रगतिशील किसान क्लब" से प्राप्त नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में प्राप्त पत्र...#FarmersWithModi pic.twitter.com/QvJsWdiOXw
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 28, 2020
भारतीय कृषक समाज
बीते 28 दिसंबर को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ‘भारतीय कृषक समाज’ नाम के एक संगठन द्वारा कृषि कानूनों को समर्थन देने की जानकारी भी ट्विटर पर साझा की थी. ‘भारतीय कृषक समाज’ द्वारा कृषि मंत्री को सौंपे गए समर्थन पत्र में नए कृषि कानूनों को ऐतिहासिक और किसानों के हित में बताया गया है. इस संगठन के मुखिया कृष्ण बीर चौधरी हैं. कृष्ण बीर चौधरी जाने-माने किसान नेता हैं, वे टीवी चैनलों पर किसानों से जुड़ी कई चर्चाओं में दिखते रहे हैं. लेकिन चौधरी का राजनीति से भी नाता है और वे भाजपा के सदस्य हैं. तीन दशकों तक कांग्रेस में रहे कृष्ण बीर चौधरी 2014 में राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए थे. कृष्ण बीर चौधरी ने कृषि मंत्री को जो समर्थन पत्र सौंपा है, उसमें उन्होंने नए कृषि कानूनों को किसानों की दशकों पुरानी मांग बताया है. चौधरी पत्र में लिखते हैं, ‘आज सरकार ने बाजार खोलकर किसानों के हित में एक बड़ा साहसिक एवं ऐतिहासिक कदम उठाया है. भारतीय कृषक समाज इसका समर्थन करता है, यह कानून देश में किसानों की प्रगति के साथ, कृषि उत्पादकता में सुधार और किसानों की आर्थिक दशा सुधारने में सहायक बनेगा.’
गाज़ियाबाद उत्तरप्रदेश के "भारतीय कृषक समाज" से प्राप्त नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में प्राप्त पत्र...
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 28, 2020
उन्होंने इस पत्र में कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए इसे किसान हित में एक बड़ा साहसिक व ऐतिहासिक कदम बताया है...#FarmersWithModi pic.twitter.com/m1WvqtTdot
हिंद मजदूर किसान समिति
बीते महीने मेरठ के एक किसान संगठन – ‘हिंद मजदूर किसान समिति’ – के नेताओं ने नए कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी. कृषि मंत्री ने इस संगठन के नेताओं से मुलाकात के कुछ फोटो साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा था, ‘आज मेरठ उत्तर प्रदेश से आये ‘हिंद मजदूर किसान समिति’ के प्रतिनिधियों ने नए कृषि सुधार बिलों के समर्थन में ज्ञापन दिया है और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि ये सभी बिल किसानों के हित में हैं व इन्हें वापस नहीं लिया जाना चाहिए.’ बीते शुक्रवार को ‘हिंद मजदूर किसान समिति’ को लेकर एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आयी. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 20 दिसंबर को कृषि मंत्री को ज्ञापन देने वाला यह किसान संगठन दिसंबर 2020 में ही पंजीकृत हुआ है. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि जिस संगठन ने कभी किसानों के लिए आंदोलन नहीं किया, वह सरकार को समर्थन कैसे दे रहा है? सवाल यह भी है कि क्या इस संगठन को अचानक नए कृषि कानूनों का समर्थन करने के मकसद से ही तो नहीं बनाया गया है?
आज मेरठ उ प्र से आये "हिन्द मजदूर किसान समिति" के प्रतिनिधियों ने नए कृषि सुधार बिलों के समर्थन में ज्ञापन दिया और प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी का आभार व्यक्त किया।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 20, 2020
उन्होंने कहा कि ये सभी बिल किसानों के हित में हैं व इन्हें वापस नहीं लिया जाना चाहिए।#FarmersWithModi pic.twitter.com/MjvWtMpJZO
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