प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में पूरी तरह से माल ढुलाई के लिए बने रेल गलियारे यानी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के एक हिस्से का उद्घाटन किया. 351 किलोमीटर लंबा यह हिस्सा उत्तर प्रदेश के खुर्जा से भाऊपुर को जोड़ता है. इस रूट पर 10 स्टेशन बनाए गए हैं. कहा जा रहा है कि इससे फिरोजाबाद के कांच, खुर्जा के पॉटरी और अलीगढ़ के ताला-हार्डवेयर उद्योग को काफी फायदा होगा. इसी कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में स्थित परिचालन नियंत्रण केंद्र का भी उद्घाटन किया.
खुर्जा-भाऊपुर लाइन का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह कॉरिडोर भारत में माल ढुलाई की तस्वीर बदलने जा रहा है. उनका यह भी कहना था कि इससे उद्योगों के लिए माहौल बेहतर होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘यह आजादी के बाद सबसे बड़ा रेल प्रोजेक्ट है. आज का दिन भारतीय रेल के गौरवशाली अतीत को 21वीं सदी की नई पहचान देने वाला है. भारत और भारतीय रेल का सामर्थ्य बढ़ाने वाला है. आज हम आजादी के बाद का सबसे बड़ा और आधुनिक रेल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट धरातल पर उतरता देख रहे हैं.’ खुर्जा-भाऊपुर सेक्शन के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मौजूद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि इस लाइन की शुरुआत के साथ ही प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बन रहे प्रोडक्ट्स को आगे तक पहुंचाया जा सकेगा.
2843 किलोमीटर लंबे डीएफसी को स्वतंत्र भारत में रेलवे से जुड़ी सबसे बड़ी परियोजना बताया जा रहा है. इसकी शुरुआत 2006 में हुई थी. हालांकि बताया जाता है कि काफी समय तक इस पर कोई खास प्रगति नहीं हुई. 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के आने के बाद इस पर काम तेज हुआ. डीएफसी की दो शाखाएं हैं. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस हिस्से का उद्घाटन किया वह 1839 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न डीएफसी का हिस्सा है. ईस्टर्न डीएफसी पंजाब के साहनेवाल से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के डानकुनी में खत्म होगा. डीएफसी की दूसरी शाखा करीब डेढ़ हजार किलोमीटर लंबा वेस्टर्न डीएफसी है जो उत्तर प्रदेश के दादरी से शुरू होकर मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट तक जाएगा. डीएफसी पूरी तरह से नया नेटवर्क है इसलिए इसके ज्यादातर स्टेशनों के नाम से पहले न्यू लगाया गया है जैसे न्यू खुर्जा, न्यू भाऊपुर आदि. इस परियोजना में विश्व बैंक और जापान का भी आर्थिक सहयोग है.
ढुलाई क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन
डीएफसी भारत के बुनियादी ढांचे की तस्वीर में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है. इस परियोजना के पूरा होने पर भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर दौड़ने वाली करीब 70 फीसदी मालगाड़ियों को नए कॉरिडोर पर शिफ्ट कर दिया जाएगा. इससे यात्री गाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी का रास्ता साफ होगा. उदाहरण के लिए डीएफसी का खुर्जा से भाऊपुर वाला हिस्सा शुरू हो जाने से दिल्ली से कानपुर वाली रेलवे की मेन लाइन पर बोझ घटेगा जो अभी क्षमता से 150 फीसदी ज्यादा है. रोज करीब 50 यात्री ट्रेनें और 60 मालगाड़ियां इससे होकर गुजरती हैं. बोझ घटने से इस लाइन पर न सिर्फ ज्यादा यात्री ट्रेनें चलाई जा सकेंगी बल्कि उनका समय पर आना-जाना भी बेहतर तरीके से सुनिश्चित किया जा सकेगा. इससे आम लोगों को काफी सुविधा होगी.
माल ढुलाई के क्षेत्र में भी डीएफसी क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आएगा. जानकारों के मुताबिक अभी जो स्थिति है उसमें मालगाड़ियों की औसत गति 20 किलोमीटर प्रति घंटा होती है जो काफी कम है. यह इसलिए है कि अक्सर ही यात्री गाड़ियों को पास देने के लिए मालगाड़ियों को लूप लाइन में खड़ा होना होता है. डीएफसी के पूरा होने के बाद यह स्थिति बदल जाएगी. इसकी वजह यह है कि इस नए कॉरीडोर पर सिर्फ मालगाड़ियां चलेंगी जिनकी औसत रफ्तार का आंकड़ा 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकता है. इस वजह से डीएफसी से माल ढुलाई सड़कों की तुलना में तेज होगी. इसके अलावा नये नेटवर्क की पटरियों की भार वहन क्षमता भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क की ज्यादातर पटरियों से ज्यादा है. बताया जा रहा है कि इस पर चलने वाली ट्रेनों में कंटेनरों की संख्या 400 तक ले हो सकती है. इस पर डबल डेकर ट्रेनें भी तेज रफ्तार के साथ चलाई जा सकेंगी. यानी मालगाड़ियां दोगुना सामान की ढुलाई कर सकेंगी. इससे ढुलाई खर्च में भी कमी आएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बात पर जोर दिया. उनका कहना था, ‘देश के खेत-बाजार माल ढुलाई पर निर्भर हैं, एक जगह के माल को दूसरी जगह पहुंचाना पड़ता है. आबादी बढ़ने के साथ-साथ बोझ बढ़ने लगा था. हमारे यहां यात्री-मालगाड़ी ट्रेन एक ट्रैक पर चलती थी जिसके कारण दोनों ट्रेनें लेट होती थी. मालगाड़ी लेट होने के कारण लागत बढ़ जाती है, लेकिन अब स्पेशल ट्रैक बनने से ये संकट दूर होगा.’
विकास के नए अवसर
उद्योगों को डीएफसी से कई तरह के फायदे होंगे. उन्हें कच्चा माल मंगाने में आसानी होगी. साथ ही उन्हें तैयार उत्पाद को भी देश के अलग-अलग स्थानों पर जल्द भेजने में मदद मिलेगी. इससे भारतीय उत्पादों की लागत में कमी आएगी जिसका सीधा फायदा भारत से होने वाले निर्यात को मिलेगा. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि कीमत में कमी होने के चलते कंपनियां प्रतिस्पर्धा का बेहतर मुकाबला कर सकेंगी. डीएफसी से निवेश के लिए भारत को आकर्षक देश बनाने में भी मदद मिलेगी.
इसके अलावा डीएफसी औद्योगिक क्षेत्रों, निवेश क्षेत्रों और लॉजिस्टिक पार्कों के लिये मार्ग प्रशस्त करेगा. कॉरिडोर के साथ लगे ग्रीनफील्ड शहरों में रियल एस्टेट को फायदा होगा. साथ ही बुनियादी ढांचे का विकास भी होगा. इससे उद्योगों और उनसे संबंधित द्वितीयक गतिविधियों से जुड़े कारोबार का भी विकास होगा. जानकारों के मुताबिक इससे रोज़गार के बेहतर अवसरों का सृजन होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना था, ‘डीएफसी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा. व्यापारी हों, किसान हों या उपभोक्ता, हर कोई इससे लाभान्वित होगा.’
पर्यावरण के लिए अच्छी खबर
डीएफसी पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अच्छी खबर है. कहा जा रहा है कि इसके पूरा हो जाने के बाद रेलवे के जरिये माल ढुलाई बढ़ेगी. इससे सड़क मार्गों पर दबाव कम होगा जिससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में काफी कमी आएगी. एक अनुमान के मुताबिक डीएफसी पर चलने वाली एक मालगाड़ी सड़क से 1300 ट्रकों का लोड कम कर सकती है. एर्न्स्ट एंड यंग के एक अनुमान के मुताबिक डीएफसी के चलते अगले 30 साल के दौरान भारत से होने वाले कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में 45 करोड़ टन की कमी आने की संभावना है.
सरकार की डीएफसी को सूचीबद्ध करने भी योजना है. साथ ही इसकी परिसंपत्तियों को भी आय के सृजन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में यह बात कही. उनका कहना था कि सरकार धीरे-धीरे इसमें विनिवेश भी करेगी. हालांकि उनका कहना था कि ऐसा तभी किया जाएगा जब यह परियोजना पूरी होने के बाद लाभ कमाने लगेगी.
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें | सत्याग्रह एप डाउनलोड करें
Respond to this article with a post
Share your perspective on this article with a post on ScrollStack, and send it to your followers.