सऊदी अरब में एक बड़े शिया नेता सहित 47 कैदियों को फांसी दे दी गई है. शेख निम्र अल-निम्र को ये सजा 2011 में सरकार विरोधी गतिविधियां चलाने के कारण मिली. उस समय उन्होंने सऊदी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुए शिया समुदाय के विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था. वहीं, सऊदी अरब के कट्टर प्रतिद्वंदी और शियाबहुल ईरान ने इसकी आलोचना की है. ईरान ने शेख निम्र-अल-निम्र को निर्दोष बताते हुए सऊदी अरब को चेतावनी दी है कि उसे अपनी इन शिया विरोधी नीतियों के परिणाम जल्द ही भुगतने पड़ेंगे.
हालांकि, सऊदी गृहमंत्रालय ने ईरान के आरोपों को खारिज किया है. उसका कहना है कि शिया हो या सुन्नी ,जो आतंक का साथ देगा उसका यही हश्र होगा. ये फांसियां मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल की वह रिपोर्ट आने के दूसरे ही दिन ही दी गई हैं जिसमें बताया गया था कि सऊदी अरब ने 2015 में 151 लोगों को फांसी दी है. इस रिपोर्ट में एमनेस्टी ने सऊदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि उसने मादक पदार्थ संबंधी अपराधों के लिए तक 63 लोगों को फांसी दी है.
नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान दौरे के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल के पाकिस्तान दौरे के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, याचिकाकर्ता मुनीर अहमद ने मोदी के बगैर आधिकारिक अनुमति के पाकिस्तान आने के खिलाफ यह याचिका दायर की है. अहमद का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने इस यात्रा के दौरान जरूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया था. उसने इस याचिका में पाकिस्तानी सरकार, नागरिक उड्डयन और हवाई अड्डा सुरक्षा बल को पक्षकार बनाया है. इससे पहले भी नरेंद्र मोदी के अचानक पकिस्तान के दौरे को लेकर वहां के कुछ नेताओं और पत्रकारों ने सवाल उठाये थे. हालांकि पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने इस विवाद पर संसद में स्पष्टीकरण देते हुए कहा था नरेंद्र मोदी और उनके स्टाफ को पाकिस्तान आने से कुछ देर पहले जरूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए 72 घंटे का वीजा दिया गया था.
नेपाल में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन
भारत-नेपाल सीमा पर हो रही नाकेबंदी का विरोध करते हुए काठमांडू में भारतीय दूतावास के बाहर कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. इन लोगों की मांग थी कि सीमा पर भारत के द्वारा की गयी नाकेबंदी को जल्द खत्म किया जाए जिससे नेपाल के लोगों का जीवन पटरी पर लौट सके. इस प्रदर्शन का आयोजन ह्यूमन राइट्स एंड पीस सोसाइटी और दूसरे संगठनों ने किया था. हालांकि, पुलिस ने इन लोगों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया. इस महीने इन संगठनों के द्वारा भारतीय दूतावास के बाहर यह तीसरा प्रदर्शन था. मधेसी आंदोलन के कारण पिछले तीन महीने से भारत और नेपाल के बीच माल लाने-ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही बंद है. इसके चलते नेपाल में ईंधन, गैस और दूसरी जरूरी चीजों की किल्लत हो गई है. नेपाल के लोगों का मानना है कि भारत ने हिंदी भाषी मधेसियों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए ये नाकेबंदी की. हालांकि, भारत सरकार शुरू से ही इन आरोपों को नकार रही है.
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इस लिंक या mailus@satyagrah.com के जरिये भेजें.हालांकि, सऊदी गृहमंत्रालय ने ईरान के आरोपों को खारिज किया है. उसका कहना है कि शिया हो या सुन्नी ,जो आतंक का साथ देगा उसका यही हश्र होगा. ये फांसियां मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल की वह रिपोर्ट आने के दूसरे ही दिन ही दी गई हैं जिसमें बताया गया था कि सऊदी अरब ने 2015 में 151 लोगों को फांसी दी है. इस रिपोर्ट में एमनेस्टी ने सऊदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि उसने मादक पदार्थ संबंधी अपराधों के लिए तक 63 लोगों को फांसी दी है.
नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान दौरे के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल के पाकिस्तान दौरे के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, याचिकाकर्ता मुनीर अहमद ने मोदी के बगैर आधिकारिक अनुमति के पाकिस्तान आने के खिलाफ यह याचिका दायर की है. अहमद का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने इस यात्रा के दौरान जरूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया था. उसने इस याचिका में पाकिस्तानी सरकार, नागरिक उड्डयन और हवाई अड्डा सुरक्षा बल को पक्षकार बनाया है. इससे पहले भी नरेंद्र मोदी के अचानक पकिस्तान के दौरे को लेकर वहां के कुछ नेताओं और पत्रकारों ने सवाल उठाये थे. हालांकि पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने इस विवाद पर संसद में स्पष्टीकरण देते हुए कहा था नरेंद्र मोदी और उनके स्टाफ को पाकिस्तान आने से कुछ देर पहले जरूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए 72 घंटे का वीजा दिया गया था.
नेपाल में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन
भारत-नेपाल सीमा पर हो रही नाकेबंदी का विरोध करते हुए काठमांडू में भारतीय दूतावास के बाहर कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. इन लोगों की मांग थी कि सीमा पर भारत के द्वारा की गयी नाकेबंदी को जल्द खत्म किया जाए जिससे नेपाल के लोगों का जीवन पटरी पर लौट सके. इस प्रदर्शन का आयोजन ह्यूमन राइट्स एंड पीस सोसाइटी और दूसरे संगठनों ने किया था. हालांकि, पुलिस ने इन लोगों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया. इस महीने इन संगठनों के द्वारा भारतीय दूतावास के बाहर यह तीसरा प्रदर्शन था. मधेसी आंदोलन के कारण पिछले तीन महीने से भारत और नेपाल के बीच माल लाने-ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही बंद है. इसके चलते नेपाल में ईंधन, गैस और दूसरी जरूरी चीजों की किल्लत हो गई है. नेपाल के लोगों का मानना है कि भारत ने हिंदी भाषी मधेसियों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए ये नाकेबंदी की. हालांकि, भारत सरकार शुरू से ही इन आरोपों को नकार रही है.
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