बीते छह महीनों के दौरान हिंदुस्तान यूनिलीवर, प्रॉक्टर एंड गैंबल जैसी कई नामी गिरामी कंपनियों के करीब 250 एक्जीक्यूटिव वहां से इस्तीफा देकर पतंजलि आयुर्वेद में आ गए हैं.रितेश श्रीवास्तव बोलते हैं तो उनकी आवाज का जोश देखते ही बनता है. वे कहते हैं, 'मैं यहां सही मायने में जीवन जी रहा हूं. काम और सिस्टम उतना ही पेशेवर है जितना किसी दूसरी एफएमसीजी कंपनी में. लेकिन काम का माहौल और जीवन के लक्ष्य के लिहाज से ब्रांड का मतलब देखें तो वह बिल्कुल अलग है.'
श्रीवास्तव ने चार साल पहले बतौर सीनियर मैनेजर (मार्केटिंग एंड सेल्स) बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ज्वाइन की थी. उससे पहले वे एक और चर्चित आयुर्वेदिक कंपनी हिमालया में काम करते थे.
इस बाजार में तेजी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही पतंजलि ने बीते चार सालों के दौरान असाधारण बढ़ोतरी दर्ज की है. आज देश भर में पतंजलि के 10 हजार से ज्यादा स्टोर हैं और कंपनी का कारोबार दो हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. टूथपेस्ट से लेकर घी तक उसके तमाम प्रोडक्ट हाथों-हाथ बिक रहे हैं. स्वाभाविक ही है कि उसे पास रेज्यूमे की बाढ़ आई हुई है.
तेजी से बढ़ती कंपनी का एक मतलब उसमें काम करने वालों के करियर की तरक्की भी होता है. इस बाढ़ की एक वजह यह भी है. रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी वजह कंपनी का माहौल यानी वर्क कल्चर है. पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण कहते हैं, 'हमारे यहां कॉरपोरेट कल्चर नहीं है. यहां आध्यात्मिक माहौल है और इसका एक अलग लक्ष्य है.'
रामदेव का कहना है कि लोग पतंजलि की तरफ इसलिए खिंचे आ रहे हैं कि वे समाज और देश के निर्माण में योगदान करना चाहते हैं. अखबार से बात करते हुए वे कहते हैं, 'पहले प्रोफेशनल्स के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं था कि वे अपने परिवार की जरूरतों का भी ख्याल रख सकें, समाज को कुछ देने के उद्देश्य से भी काम कर सकें और इस काम पर गौरव भी कर सकें.'
रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि शीर्ष पर बैठ उन लोगों की तरफ नहीं भाग रही जो बड़े-बड़े मैनेजमेंट संस्थानों से निकले हैं और करोड़ों रु का सेलरी पैकेज लेते हैं. बालकृष्ण कहते हैं, 'हमारा पैकेज इंडस्ट्री के मानकों के मुताबिक ही होता है. हम ये नहीं देखते कि उनके पास कोई बड़ी डिग्री है या नहीं. इंटरव्यू के दौरान हम सिर्फ दो बातें सुनिश्चित करते हैं-पहला, व्यक्ति शराब और धूम्रपान से दूर रहता हो और दूसरा, वह सात्विक प्रकृति का हो.'
यह देखते हुए कइयों का यह सवाल स्वाभाविक ही है कि पतंजलि को मैनेजमेंट के शीर्ष स्तर पर लोग कैसे मिलेंगे. एक नामी साबुन निर्माता कंपनी के सीईओ कहते हैं, 'उनका सिस्टम और उनकी प्रक्रियाएं अभी भी बहुत पुराने तरीके की हैं. जब तक उनमें सुधार नहीं आता, सीनियर लेवल की प्रतिभाओं को आकर्षित करना चुनौती बना रहेगा.'
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इस लिंक या mailus@satyagrah.com के जरिये भेजें.श्रीवास्तव ने चार साल पहले बतौर सीनियर मैनेजर (मार्केटिंग एंड सेल्स) बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ज्वाइन की थी. उससे पहले वे एक और चर्चित आयुर्वेदिक कंपनी हिमालया में काम करते थे.
एमएमसीजी बाजार में तेजी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही पतंजलि ने बीते चार सालों के दौरान असाधारण बढ़ोतरी दर्ज की है. कंपनी के आज देश भर में 10 हजार से भी ज्यादा स्टोर हैं.वे अकेले नहीं है. द इकॉनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की नामी-गिरामी एमएफसीजी कंपनियों के बड़े-बड़े अधिकारी पतंजलि की तरफ भाग रहे हैं. बीते छह महीनों के दौरान ऐसे 250 एक्जीक्यूटिव्स ने कंपनी ज्वाइन की है. जिन कंपनियों की बात हो रही है उनमें हिंदुस्तान यूनिलीवर, प्रॉक्टर एंड गैंबल, हिमालया, बिसलरी और इमामी शामिल हैं.
इस बाजार में तेजी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही पतंजलि ने बीते चार सालों के दौरान असाधारण बढ़ोतरी दर्ज की है. आज देश भर में पतंजलि के 10 हजार से ज्यादा स्टोर हैं और कंपनी का कारोबार दो हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. टूथपेस्ट से लेकर घी तक उसके तमाम प्रोडक्ट हाथों-हाथ बिक रहे हैं. स्वाभाविक ही है कि उसे पास रेज्यूमे की बाढ़ आई हुई है.
तेजी से बढ़ती कंपनी का एक मतलब उसमें काम करने वालों के करियर की तरक्की भी होता है. इस बाढ़ की एक वजह यह भी है. रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी वजह कंपनी का माहौल यानी वर्क कल्चर है. पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण कहते हैं, 'हमारे यहां कॉरपोरेट कल्चर नहीं है. यहां आध्यात्मिक माहौल है और इसका एक अलग लक्ष्य है.'
रामदेव का कहना है कि लोग पतंजलि की तरफ इसलिए खिंचे आ रहे हैं कि वे समाज और देश के निर्माण में योगदान करना चाहते हैं. अखबार से बात करते हुए वे कहते हैं, 'पहले प्रोफेशनल्स के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं था कि वे अपने परिवार की जरूरतों का भी ख्याल रख सकें, समाज को कुछ देने के उद्देश्य से भी काम कर सकें और इस काम पर गौरव भी कर सकें.'
रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि शीर्ष पर बैठ उन लोगों की तरफ नहीं भाग रही जो बड़े-बड़े मैनेजमेंट संस्थानों से निकले हैं और करोड़ों रु का सेलरी पैकेज लेते हैं. बालकृष्ण कहते हैं, 'हमारा पैकेज इंडस्ट्री के मानकों के मुताबिक ही होता है. हम ये नहीं देखते कि उनके पास कोई बड़ी डिग्री है या नहीं. इंटरव्यू के दौरान हम सिर्फ दो बातें सुनिश्चित करते हैं-पहला, व्यक्ति शराब और धूम्रपान से दूर रहता हो और दूसरा, वह सात्विक प्रकृति का हो.'
यह देखते हुए कइयों का यह सवाल स्वाभाविक ही है कि पतंजलि को मैनेजमेंट के शीर्ष स्तर पर लोग कैसे मिलेंगे. एक नामी साबुन निर्माता कंपनी के सीईओ कहते हैं, 'उनका सिस्टम और उनकी प्रक्रियाएं अभी भी बहुत पुराने तरीके की हैं. जब तक उनमें सुधार नहीं आता, सीनियर लेवल की प्रतिभाओं को आकर्षित करना चुनौती बना रहेगा.'
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