राजेंद्र पचौरी इंटर गवर्मेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अध्यक्ष हैं
राजेंद्र पचौरी इंटर गवर्मेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अध्यक्ष हैं
2007 में शांति का नोबेल पाने वाले संगठन आईपीसीसी के अध्यक्ष आरके पचौरी एक नये विवाद में फंसते दिख रहे हैं.
इंटर गवर्मेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अध्यक्ष और एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) के महानिदेशक राजेंद्र कुमार पचौरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया है. इससे जुड़ी शिकायत टेरी में कार्यरत एक रिसर्च एनालिस्ट ने दिल्ली के लोदी कॉलोनी थाने में 13 तारीख को दर्ज करवाई थी. बीते बुधवार को ही पुलिस ने इस मामले में पचौरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
अपनी शिकायत में इस 29 वर्षीय युवती ने आरोप लगाया है कि सितंबर, 2013 में उसकी टेरी में नियुक्ति हुई थी और कुछ समय बाद ही पचौरी उसके साथ अश्लील तरीके से पेश आने लगे थे. मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों के मुताबिक युवती ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि पचौरी उसे वाट्सएप, ईमेल और एसएमएस से अश्लील मैसेज भेजते थे. उसने कई बार पचौरी को इसके लिए मना किया लेकिन उनकी हरकतें बंद नहीं हुईं. इस शिकायतकर्ता ने नौ फरवरी को एक शिकायत टेरी में भी दर्ज करवाई थी. लेकिन इस आधार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
शिकायतकर्ता युवती का कहना है कि वह गवाहों की उपस्थिति में अपने मोबाइल पुलिस को सौंपना चाहती है कि क्योंकि उसे अाशंका है कि पचौरी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इनका डेटा गायब करवा सकते हैं या इन्हें नष्ट करवा सकते हैं
यह खबर द इकॉनॉमिक टाइम्स में पहली बार 17 तारीख को प्रकाशित हुई थी. इसके बाद आरके पचौरी के वकील ने हाईकोर्ट से इस मसले से जुड़ी खबरों के प्रकाशन पर स्टे ऑर्डर ले लिया. हालांकि 19 फरवरी को कोर्ट ने यह पाबंदी हटा दी. हाईकोर्ट ने पचौरी को तुरंत गिरफ्तारी से राहत देते हुए 23, फरवरी तक निचली अदालत से अग्रिम जमानत लेने की अनुमति भी दे दी है.
राजेंद्र पचौरी सभी आरोपों से इनकार कर रहे हैं. वे यह भी दावा कर रहे हैं कि उनका लैपटॉप और वॉट्सएप अकाउंट हैक कर लिए गए थे. मीडिया के सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए पचौरी के वकील का कहना है कि यह मामला अभी न्यायालय में चल रहा है और इसलिए वे इसपर कुछ नहीं कह सकते.
एफआईआर दर्ज होने के बाद बुधवार को पुलिस ने पचौरी से अपना लैपटॉप और मोबाइल जमा करने के लिए कहा था. पचौरी के वकील के मुताबिक ये सारे सामान गुरुवार को जमा कर दिए गए हैं.
द इकॉनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक युवती ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को एक और आवेदन दिया है. इसमें उसने कहा है कि पचौरी बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वे मोबाइल फोन में रिकॉर्ड डेटा नष्ट करवा सकते हैं. शिकायत में यह भी कहा गया है कि वह कुछ गवाहों की मौजूदगी में अपने दो मोबाइल पुलिस को सौंपना चाहती है और यह भी कि इस प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए.
टेरी 1200 लोगों का संस्थान है और पचौरी इसके सर्वेसर्वा हैं. यही नहीं वे दूसरे कई संस्थानों से भी जुड़े रहे हैं. पचौरी येल युनिवर्सिटी के क्लाइमेट एंड एनर्जी इंस्टिट्यूट (वाईसीईआई) के संस्थापक सदस्य हैं. इस विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में पढ़ाते भी हैं. युनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड से भी जुड़े रहे पचौरी टेरी में 1981 से हैं. इन सब के अलावा राजेंद्र कुमार पचौरी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के तहत बनी संस्था इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अध्यक्ष भी हैं. इस संस्था को 2007 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था.
पचौरी और उनका संस्थान पहले भी विवादों में रहे हैं.  इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) पर आरोप लगता रहा है कि यह संस्थान एक विशेष एजेंडे के तहत जलवायु परिवर्तन की आड़ में विकासशील देशों की नीतियां बदलवाने का काम करता है. आईपीसीसी की 2007 में आई एक रिपोर्ट को ऐसे आरोपों के पक्ष में सबसे बड़ी मिसाल बताया जाता है. इस साल जारी रिपोर्ट में दावा किया गया था ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते हिमालय के सारे ग्लेशियर 2035 तक पिघल जाएंगे. जाहिर है इस रिपोर्ट पर भारत में सबसे ज्यादा बहस होनी थी. लेकिन बहस शुरू होने पहले ही यह पता चला कि ये सारे दावे गलत हैं और इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. आईपीसीसी की रिपोर्ट का यह हिस्सा एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कार्यरत पर्यावरणविद् सैयद इकबाल हसनैन के किसी मीडिया इंटरव्यू से लिया गया था. हसनैन ने यह दावा अनुमानों का आधार पर किया था. आईपीसीसी का इतना बड़ा दावा गलत होने बाद भी आरके पचौरी ने कभी इसकी जिम्मेदारी नहीं ली. वे उस समय भी आईपीसीसी रिपोर्ट का बचाव करते रहे.