कहा जाता है कि खाना और उसका स्वाद संस्कृति का हिस्सा होते हैं और संस्कृति बदलने पर वे भी बदल जाते हैं. लेकिन पंजाब का पनीर टिक्का हो, गुजरात का फाफड़ा या फिर तमिलनाडु का इडली डोसा, ये व्यंजन भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को अपने स्वाद का मुरीद बनाए हुए हैं. भारत के कई और व्यंजनों के बारे में भी यही बात कही जा सकती है.

यानी संस्कृति से इतर भी कुछ वजह है जिससे अलग-अलग देशों के लोग भारतीय खाने की तरफ आकर्षित होते हैं. लेकिन क्या? यह गुत्थी कुछ समय पहले हुए एक अनुसंधान से सुलझी है.

भारतीय खाने के इस विशिष्ट स्वाद की वजह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (आईआईटी) जोधपुर के तीन छात्रों के शोध से सामने आई. कुछ साल पहले हुए इस शोध के अंतर्गत पश्चिमी दुनिया और भारत के तकरीबन 2000 व्यंजनों का अध्ययन किया गया. इन सभी व्यंजनों में तकरीबन 200 खाद्य सामग्रियां और मसाले इस्तेमाल किए जाते हैं.

‘स्पाइसेज फॉर्म द बेसिस ऑफ फूड पेयरिंग इन इंडियन क्विजीन’ शीर्षक से प्रकाशित इस शोधपत्र में पाक कला के सबसे बुनियादी तर्क को आधार बनाकर निष्कर्ष निकाले गए हैं. यह तर्क कहता है किसी व्यंजन में एक-दूसरे से बिलकुल अलग और एक समान स्वाद वाले पदार्थों का मेल तय करता है कि उसका स्वाद लोगों को कितना लुभाएगा.

शोध के मुताबिक यदि हम पश्चिमी व्यंजनों को देखें तो उनमें तकरीबन एक जैसे स्वाद वाली सामग्रियां ही पड़ती है. पश्चिम में पाककला का विकास इसी बुनियादी सिद्धांत पर हुआ है कि एक व्यंजन में बिल्कुल अलग स्वाद वाली खाद्य सामग्रियां न रहें. इसके विपरीत भारतीय पाककला बिलकुल अलग स्वाद वाले मसालों को एक साथ मिलाकर व्यंजन बनाने के आधार पर विकसित हुई है. शोध के मुताबिक यही वजह है कि भारतीय खाना अलग-अलग संस्कृति और देशों के लोगों को इतना लुभाता है.

कैसे हुआ शोध

हर एक खाद्य सामग्री को उसकी रासायनिक संरचना के आधार पर बांटा जा सकता है. यह संरचना ही उसके स्वाद को तय करती है. शोध करने वाली टीम ने पहले सभी खाद्य सामग्रियों को उनके स्वाद के आधार पर अलग-अलग बांटा. इसके बाद उन्होंने विदेशी और भारतीय व्यंजनों में पड़ने वाली खाद्य सामग्री का विश्लेषण किया.

इस विश्लेषण के निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं. इनके अनुसार भारतीय व्यंजनों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले 10 मसालों - लाल मिर्च, हरी मिर्च, धनिया, गरम मसाला, तेज पत्ता, इमली, लहसुन, अदरक, इमली और लहसुन, में से नौ ऐसे हैं जिन्हें पश्चिमी पाक कला के हिसाब से एक साथ इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. जबकि भारतीय खानपान में इनका एक साथ ही प्रयोग होता है. इस आधार यह निष्कर्ष निकाला गया है कि मसालों का यह मेल ही भारतीय खाने में अनोखे स्वाद की मुख्य वजह है.