शुभम उपाध्याय
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सुपरस्टार तो दर्जनों हुए हैं, लेकिन आमिर खान जैसा एक भी नहीं!
आमिर खान आज 56 साल के हो गए हैं
शुभम उपाध्याय
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सैयद हैदर रज़ा से मिलकर यूं लगा था जैसे आप कला और दर्शन की जुगलबंदी देख रहे हों
उस मुलाकात के वक्त सैयद हैदर रज़ा साहब की सेहत बेहद नासाज थी, लेकिन चित्रकारी और उसके बहाने खुद को अभिव्यक्त करने को लेकर उनका उत्साह तब भी चरम पर था
शुभम उपाध्याय
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‘तांडव’ हिंदू विरोधी नहीं बल्कि कुछ जगहों पर प्रो-हिंदू है
भगवान शिव वाले सीन से जुड़े अनावश्यक विवाद में कोई तांडव के उस पक्ष की ओर क्यों नहीं देखता जो प्रो-हिंदू है?
शुभम उपाध्याय
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जावेद अख्तर को इतना गुस्सा क्यों आता है?
इतिहास अगर महान गीतकारों को उनके गीतों के लिए याद रखेगा तो जावेद अख्तर को उनके सामाजिक सरोकारों के लिए भी हमेशा याद करेगा
शुभम उपाध्याय
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फिल्म संगीत को अगर दो युगों में बांटा जाए तो एक पंचम दा के पहले का होगा और दूसरा उनके बाद का
आरडी बर्मन यानी पंचम दा को ऐसा संगीतकार कहा जा सकता है जिन्होंने फिल्म संगीत के मिजाज और व्याकरण को बदलकर एक नया दौर शुरू किया था
शुभम उपाध्याय
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यह किस्सा बताता है कि कैसे शाहरुख खान ने शुरुआती दौर में ही अपनी काबिलियत पहचान ली थी
अपने संघर्ष के दिनों में भी शाहरुख खान का अंदाज एक सुपरस्टार सरीखा ही था
शुभम उपाध्याय
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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स्विट्जरलैंड और शिफॉन साड़ियों से बहुत पहले यश चोपड़ा हिंदू-मुस्लिम एकता के झंडाबरदार भी थे
बाद में बेहद सराही और राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी गई यश चोपड़ा की फिल्म ‘धर्मपुत्र’ को रिलीज के वक्त हिंदूवादी संगठनों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था
शुभम उपाध्याय
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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के असली जय-वीरू तो ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह ही थे!
नसीरुद्दीन शाह की आत्मकथा ‘एंड देन वन डे’ में दर्ज उनके अजीज दोस्त ओम पुरी से जुड़े कुछ अनोखे किस्से
शुभम उपाध्याय
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अगर अमिताभ बच्चन न होते तो...
अगर अमिताभ बच्चन नहीं होते तो हमारे पास, हमारी फिल्मों के पास और हमारे देश के पास क्या-क्या नहीं होता?
शुभम उपाध्याय
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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जगजीत सिंह के बाद अब ग़ज़ल भी विदा हो चुकी है
अपवादों को छोड़ दें तो जगजीत सिंह के जाने के नौ साल बाद ग़ज़ल अब कहीं नजर नहीं आती. युवाओं को भी उसके न होने से पैदा हुई खाली जगह से कोई फर्क पड़ता नहीं दिखता
शुभम उपाध्याय
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कालजयी फिल्म ‘प्यासा’ के बनने की कहानी भी बताती है कि गुरु दत्त क्या थे और क्यों थे
‘प्यासा’ की मूल कहानी गुरु दत्त ने अपनी मुफलिसी के उस दौर में लिखी थी, जब वे खुद यह मानने लगे थे कि समाज कलाकारों की इज्जत नहीं करता
शुभम उपाध्याय
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ऋषिकेश मुखर्जी की यह ‘सेक्स फिल्म’ आखिर उनकी बाकी फिल्मों की तरह यादगार क्यों नहीं है?
‘आनंद’, ‘गुड्डी’ और ‘बावर्ची’ जैसी फिल्मों में ऋषिकेश मुखर्जी के जोड़ीदार रहे गुलजार ने उनकी इस फिल्म के भी डायलॉग लिखे थे
शुभम उपाध्याय
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है