मनीष वैद्य
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देश में सात लाख लोगों के लिए मैला ढोना छोड़ना इतना मुश्किल क्यों है?
23 साल से गैरकानूनी होने के बावजूद आज भी देश भर में लगभग सात लाख लोग रोजाना अपने सर पर मैला ढोने को मजबूर हैं
मनीष वैद्य
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अपनी भाषाओं को भूलने के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है
बीते चार दशकों के दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों की करीब 500 भाषाओं या बोलियों में से लगभग 300 विलुप्त हो चुकी हैं और 190 से ज्यादा आखिरी सांसें ले रही हैं
मनीष वैद्य
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पट्टे मिलने थे, धोखा मिला
मध्य प्रदेश में दो लाख से भी ज्यादा भूमिहीनों को जमीन के पट्टे दिए गए थे. लेकिन 15 साल हो गए हैं और ज्यादातर मामलों में बात अब तक कागजों पर ही अटकी है
मनीष वैद्य
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रोटी कमाने गए थे, सिलिकोसिस लेकर लौटे
मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और अलीराजपुर के 100 से ज्यादा गांवों में सिलिकोसिस की तबाही आम है और राहत दुर्लभ
मनीष वैद्य
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यह कहानी कुछ मजबूर आदिवासी महिलाओं के जलदेवियां बन जाने की कहानी है
एक दिन गांव भर की औरतें जुटीं और विचार करने लगीं. किसी ने कहा कि गांव में हमारा खुद का कुआं होना चाहिए. बात सबको भली लगी पर कुआं, वह भी औरतों का, यह कैसे होगा!
मनीष वैद्य