अपूर्वानंद
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
ज़िंदगी पुस्तकालयों में बिता देने वाले कार्ल मार्क्स ने दुनिया भर में शायद सबसे ज्यादा लोगों को घरों से निकलकर अपनी दुनिया बदलने की प्रेरणा दी
अपूर्वानंद
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भगत सिंह की नजर में बोस संकीर्ण और नेहरू दूरदृष्टि वाले क्रांतिकारी थे
सुभाष चंद्र बोस को एक भावुक बंगाली मानने वाले भगत सिंह, जवाहरलाल नेहरू को एक अंतरराष्ट्रीय सोच वाले नेता के तौर पर देखते थे
अपूर्वानंद
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अशोक वाजपेयी: उन चंद लोगों में से एक जो कह सकते हैं कि उनका पूरा निवेश एक काल्पनिक लोक में रहा
अशोक वाजपेयी के सार्वजनिक जीवन ने उनके कवि रूप को ढंक सा लिया है लेकिन उन पर विचार हमेशा एक कवि की तरह ही किया जाना चाहिए
अपूर्वानंद
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प्रोफ़ेसर यशपाल हर बच्चे को समझ का चस्का लगा देना चाहते थे
प्रोफेसर यशपाल मानते थे कि प्रश्न करना मनुष्य होने का प्रमाण था इसलिए वे शिक्षकों से कहा करते थे कि बच्चों का पूछा कोई भी प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर नहीं है
अपूर्वानंद
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जो नेहरू को जानते ही नहीं वे उनसे नफरत कैसे कर सकते हैं!
जो आसानी से समझा न जाए वह या तो देवता बना दिया जाता है या उसे सजा दी जाती है. तो आसानी के इस जमाने में नेहरू को ठिकाने लगाने की जुगत देखकर हैरानी क्यों हो!
अपूर्वानंद
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क्या जैसा पुरखों ने बताया है, दुर्गा को हम वैसे ही याद करते रह सकते हैं?
भावी पीढ़ियां क्या हमारी किसी भक्ति-शक्ति की कल्पना को याद करके कृतज्ञता का अनुभव करेंगी या जो हमें मिला है हम उसे आगे बढ़ाने का साधन मात्र बनकर रह जाएंगे
अपूर्वानंद
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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श्रद्धा और घृणा की धुंध हटाए बिना गांधी को जानना कठिन है
गांधी अपने ही देश में अफवाह बन गए हैं. उन्हें जानने की शुरुआत उस तरीके से की जा सकती है जो नेहरू ने ‘गांधी’ बनाने की सोच रहे रिचर्ड अटेनबरो को सुझाया था
अपूर्वानंद
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भगत सिंह को आज हम जिस तस्वीर से पहचानते हैं वह भी बम फेंकने की तैयारी का हिस्सा ही थी
भगत सिंह की यह तस्वीर एक योजना के तहत बाकायदा स्टूडियो में खिंचवाई गई थी
अपूर्वानंद
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आज भगत सिंह होते तो क्या करते?
भगत सिंह नौजवानी के प्रतीक हैं और हर नौजवान उनकी तरह होना चाहेगा. लेकिन वैसा होना क्या आसान है!
अपूर्वानंद
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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जो मुक्तिबोध में सिर्फ अंधेरा, भीषण या भयानक ही देखते हैं वे उन्हें जानते नहीं
मुक्तिबोध ने कहा था कि ज़िंदगी मुश्किल है लेकिन इतनी मीठी कि जी चाहता है, एक घूंट में पी जाएं. उनका यह वाक्य ही उन्हें समझने के लिए दिए का काम कर सकता है
अपूर्वानंद
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1942 में इसी समय गांधी की अपनों से ही हुई यह बहस बताती है कि हमें आजादी किन मूल्यों पर मिली है
उस समय राजगोपालाचारी महात्मा गांधी की खुली आलोचना कर रहे थे और गांधी जी उनका विरोध करने के साथ-साथ पंडित नेहरू से भी बहस कर रहे थे
अपूर्वानंद
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गांधी जी तो सिर्फ आंदोलन करते थे फिर भारत छोड़ो, अगस्त क्रांति कैसे बन गया?
गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर यह तो माना कि उसमें हिंसा हुई लेकिन अपने पिछले आंदोलनों की तरह उसका जिम्मा लेने से इनकार कर दिया
अपूर्वानंद
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है