कविता
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सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन के लिए ‘अज्ञेय’ उपनाम नहीं बल्कि एक मकसद था
कवि रूप में अज्ञेय का निश्छल भोलापन हमें अगर अनायास खींचता है तो उनकी कहानियों और उपन्यासों के पात्र विवश करते हैं कि हर सवाल पर फिर से सोचा जाए
कविता
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फणीश्वर नाथ रेणु : जो न होते तो अपने देश की आत्मा से हम कुछ और कम जुड़े होते
अपने जीते जी ही किंवदंती बनकर फणीश्वर नाथ रेणु अपने समय के रचनाकारों के लिए प्रेरणा और जलन दोनों का कारण बन गए थे
कविता
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काला जल : जिसमें शानी, बस्तर और मुस्लिम आबादी का यथार्थ एक साथ मिलते हैं
कभी-कभी किसी लेखक की एक ही रचना उसे अमर रखने के लिए काफी होती है. गुलशेर खां शानी की काला जल ऐसी रचनाओं में शामिल है
कविता
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सूर और कबीर की परंपरा के निदा फाजली ने दोहे की लोकविधा में नई जान भरी थी
‘निदा’ का अर्थ होता है आवाज और अपने लिए यह नाम चुनने वाले निदा फाजली ने अपनी रचनाओं से इस नाम को असल मायने दिए थे
कविता
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जयशंकर प्रसाद साहित्य जगत के बुद्ध थे
बनारस ज्ञान, भोग और भक्ति का संगम है तो यहां जन्मे जयशंकर प्रसाद ज्ञान, अध्यात्म और देशभक्ति का संगम थे
कविता
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कमलेश्वर की कलम पानी जैसी थी, वे उसे जिस विधा में रख देते वह उसी के रंग में ढल जाती थी
कहानी और उपन्यास के अलावा सम्पादन, पत्रकारिता, अनुवाद, फिल्म पटकथा और संवाद लेखन कमलेश्वर के व्यक्तित्व के बिलकुल अलग-अलग आयाम रहे
कविता
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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सआदत हसन मंटो : जो खुद को अपनी ही जेब काटने वाला जेबकतरा मानते थे
सआदत हसन मंटो के ही शब्दों में कहें तो उन्होंने अफसाने नहीं लिखे थे, बल्कि अफसानों ने उन्हें लिखा
कविता
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खलील जिब्रान को पढ़ना किसी अच्छे डॉक्टर से मिलने जैसा भी है
खलील जिब्रान इसीलिए हर देश और भाषा के अपने हुए कि हर इंसान को उनकी बात अपनी बात लगी
कविता
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बाबा नागार्जुन : मामूली सी बातों को कालजयी बनाने वाला जनकवि
तात्कालिक घटनाओं से जुड़ी रचनाएं कालजयी नहीं हो पातीं पर बाबा नागार्जुन की सरोकारों पर इतनी गहरी पकड़ थी कि उन्हें ऐसी रचनाओं से ही जनकवि का दर्जा मिला
कविता
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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प्यार अगर इंसान की शक्ल लेता तो उसका चेहरा अमृता प्रीतम जैसा होता
जैसा अमृता प्रीतम ने अपने लिए चुना, वैसा ही प्यार और आजादी के मेल से बना चटख रंग वे हर स्त्री के जीवन में चाहती थीं
कविता
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‘राजेंद्र यादव अपने भीतर बसे आदिम पुरुष से लगातार लड़ते थे’
हिंदी के मशहूर लेखक राजेंद्र यादव पर युवा कथाकार कविता के कुछ संस्मरण
कविता
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‘मध्य वर्ग अगर सच को सच कहने का साहस दिखाए तो समाज और राजनीति में हो रहा पतन रोका जा सकता है’
करीब दो दशक पुराने इस साक्षात्कार में निर्मल वर्मा ने भारतीय समाज की चुनौतियों से जुड़ी जो बातें कही थीं वे आज भी ठीक उन्हीं अर्थों में महत्वपूर्ण बनी हुई हैं
कविता
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है