सुहैल ए शाह
-
सुरक्षा बलों की सफलताओं के बावजूद कश्मीर में मिलिटेंसी घटने के बजाय बढ़ क्यों रही है?
2014 से 2016 के बीच हर साल मिलिटेंसी का हिस्सा बनने वाले कश्मीरी युवाओं की संख्या कभी भी 90 से ऊपर नहीं गई थी, लेकिन बीते साल यह आंकड़ा दोगुना हो गया.
सुहैल ए शाह
-
कश्मीर में आज सबसे बड़ा मज़ाक 5-जी और बच्चों को कोडिंग सिखाने की बात करना है
पिछले 8 सालों में कश्मीर में जितनी बार इंटरनेट सेवाएं बंद हुई हैं उसके सामने बाकी भारत के मिले-जुले आंकड़े कुछ भी नहीं हैं
सुहैल ए शाह
-
क्या कश्मीरी पंडित इस बात से खुश हैं कि अब जम्मू-कश्मीर में कोई भी व्यक्ति ज़मीन खरीद सकता है?
‘कश्मीर फॉर कश्मीरीज़’ का नारा सबसे पहले कश्मीरी पंडितों ने ही लगाया था. लेकिन राज्य के नये भूमि कानून के बाद अब स्थिति बिलकुल बदल गई है
सुहैल ए शाह
-
कैसे कश्मीर में कलाकारों की एक नयी पौध सारी मुश्किलों के बीच अपनी जड़ें जमाने का काम कर रही है?
एक ऐसे समय में जब कश्मीर हर तरह की उथल-पुथल और कोरोना महामारी से दो-चार है, यहां के कुछ युवा वह कर रहे हैं जो मानवता बनाये रखने के लिए सबसे जरूरी है
सुहैल ए शाह
-
जिस एनएच-44 को कश्मीर के लोगों और सैनिकों का जीवन आसान करना था वह इतनी बड़ी मुसीबत कैसे बन गया?
2018 में जब कश्मीर में नेशनल हाइवे-44 तैयार हुआ था तब यहां के लोग और सुरक्षा बल दोनों बेहद खुश थे. लेकिन फरवरी 2019 के बाद से स्थिति बिलकुल बदल गई
सुहैल ए शाह
-
कश्मीर में राजनीति फिर से शुरू हो गई है तो यह एक शुभ संकेत ही हो सकता है
पिछले दिनों कश्मीर में तीन ऐसी घटनाएं घटीं जिनकी वजह से यहां का राजनीतिक माहौल गरमा गया है
सुहैल ए शाह
क्विज
-
क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
-
क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
-
क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
-
इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
-
क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
-
जब हम कश्मीर की सबसे बड़ी समस्याओं की बात करते हैं तो उनमें नशा क्यों नहीं शामिल होता?
एक अनुमान के मुताबिक कश्मीर घाटी में हर 10 में से एक व्यक्ति नशे की गिरफ्त में है और ऐसे हर 10 में से नौ लोग हेरोइन का सेवन करते हैं
सुहैल ए शाह
-
क्या कश्मीर में पर्यटन से जुड़े लाखों लोगों की टूटी कमर के लिए हमारे पास कोई मलहम है?
कश्मीर में ढाई लाख लोग पर्यटन उद्योग से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. इनके साथ-साथ लाखों और लोगों की जिंदगी भी इस वक्त बेहद मुश्किल में है
सुहैल ए शाह
-
पिछले दो सालों में कश्मीर के उस सेब उद्योग की कमर टूट गई है जो यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है
बीते दो सालों में कश्मीर घाटी दो लॉकडाउन और चार बड़ी ऐसी मौसमी गड़बड़ियां देख चुकी है जिन्होंने यहां के सेब उद्योग को बेहद गहरी परेशानी में डाल दिया है
सुहैल ए शाह
समाज और संस्कृति
-
जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
-
रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
-
किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
-
क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
-
कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
-
अनुच्छेद-370 हटे एक साल हुआ फिर भी कश्मीर में मिलिटेंसी कम होती क्यों नहीं दिखती है?
अनुच्छेद-370 हटाते वक्त कहा गया था कि इससे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का भी अंत हो जाएगा. क्या एक साल बाद उस दिशा में कोई प्रगति हो सकी है?
सुहैल ए शाह
-
कश्मीर में अभी एक ही राजनीतिक दल नजर आता है - भाजपा, लेकिन यही उसकी सबसे बड़ी दिक्कत भी है
कुछ समय पहले तक जम्मू तक में अपना असर न रखने वाली भाजपा अब कश्मीर घाटी में भी इतनी स्थापित हो चुकी है कि आज यहां केवल वही नज़र आ रही है
सुहैल ए शाह
-
कश्मीर के सारे राजनेता अचानक ही इतनी बयानबाज़ी क्यों करने लगे हैं?
कश्मीर में पिछले एक साल से किसी राजनेता की आवाज़ तक नहीं सुनाई पड़ रही थी, लेकिन 15 और छह अगस्त से पहले अचानक सभी एक साथ बोलने लग गये हैं
सुहैल ए शाह
विशेष रिपोर्ट
-
सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
-
कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
-
हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
-
क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
-
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है