दस्तावेज
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घनश्याम दास बिड़ला: हिंदुस्तान की औद्योगिक क्रांति का जनक जो खुद को व्यापारी नहीं मानता था
एक अनुमान के मुताबिक 1939 से 1969 के बीच टाटा की संपत्ति तो सिर्फ आठ गुना बढ़ी थी लेकिन, घनश्याम दास बिड़ला की संपत्ति में 94 गुना का इजाफा हुआ था
अनुराग भारद्वाज
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स्टालिन : जिसके अत्याचारों से उसका परिवार भी बच नहीं सका था
सोवियत संघ के मुखिया रहे स्टालिन के मन में न्याय, दया या संवेदना के लिए तिल भर भी जगह नहीं थी. सभी – उसके अपने बीवी-बच्चे भी – उसके आगे थर-थर कांपते थे
राम यादव
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एडविना माउंटबेटन: जिनके लिए जवाहरलाल नेहरू ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था!
कहते हैं कि जिन्ना को किसी ने सलाह दी थी कि वे नेहरू और एडविना के रिश्ते को पाकिस्तान के फायदे के लिए इस्तेमाल करें. लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया
अनुराग भारद्वाज
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शिवाजी : वह मराठा सरदार जिसने हिंदुओं के खोए हुए आत्मसम्मान को पुनर्स्थापित किया था
शिवाजी कूटनीतिक समझ से काम लेते थे और राजपूतों के उलट युद्ध में जान देने वाली 'वीरता' से बचा करते थे
अनुराग भारद्वाज
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क्या महात्मा गांधी की हत्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका थी?
महात्मा गांधी की हत्या एक ऐसे शख्स की हत्या थी जिसे दुनिया सदी का सबसे महान नायक मानती है. क्या यह अकेले गोडसे या उसके कुछ साथियों के बूते की बात हो सकती है?
अनुराग भारद्वाज
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जब पहली बार गांधीजी की हत्या के मामले में सावरकर की भूमिका को संदिग्ध बताया गया
आधुनिक भारत के इतिहास की कुछ असामान्य घटनाएं
पवन वर्मा
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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के हमरा गांधीजी के गोली मारल हो, धमाधम तीन गो...
महात्मा गांधी के समकालीन उस लोक कलाकार की कहानी जिसने उन्हें ‘अपनी अनारकली’ कहा
अव्यक्त
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‘हिंदू धर्म का नाम किसी ने रौशन कर रखा है तो वे गांधीजी ही हैं’
31 जनवरी, 1948 को दिए इस वक्तव्य में विनोबा भावे बताते हैं कि क्यों जब गांधीजी जैसा पुरुष देह छोड़कर जाता है तो वह रोने का प्रसंग नहीं होता
अव्यक्त
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महात्मा गांधी की अंतिम यात्रा का दुर्लभ वीडियो
आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है
सत्याग्रह ब्यूरो
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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गांधीजी के आखिरी दिन का आंखों देखा हाल
30 जनवरी को तड़के साढ़े तीन बजे गांधीजी के जागने से लेकर उनकी हत्या के आधे घंटे बाद तक क्या-क्या हुआ था, महात्मा गांधी के निजी सचिव वी कल्याणम के शब्दों में
सत्याग्रह ब्यूरो
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दुर्लभ वीडियो जो बताता है कि भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस कैसे मनाया था
26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ पर नहीं हुई थी
सत्याग्रह ब्यूरो
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भगत सिंह की नजर में बोस संकीर्ण और नेहरू दूरदृष्टि वाले क्रांतिकारी थे
सुभाष चंद्र बोस को एक भावुक बंगाली मानने वाले भगत सिंह, जवाहरलाल नेहरू को एक अंतरराष्ट्रीय सोच वाले नेता के तौर पर देखते थे
अपूर्वानंद
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है