एसएच रज़ा
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कोई भी, चाहे वह कितना ही नाम-कीर्ति-हीन क्यों न हो, साधारण नहीं होता
अशोक वाजपेयी
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रज़ा जब कला नहीं रचते थे तब उसे रचने के लिए खुद को तैयार कर रहे होते थे
अशोक वाजपेयी
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सत्ता, राजनीति, मीडिया और बाज़ार नहीं, साधारण जन ही लोकतंत्र को बचाते हैं
अशोक वाजपेयी
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एसएच रज़ा: रंगों के स्वभाव में जिनसे ज्यादा उलट-फेर दुनिया के किसी और चित्रकार ने नहीं किया होगा
अखिलेश
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कृष्ण खन्ना: उस समूह के इकलौते सक्रिय मूर्धन्य जिसने भारतीय कला को आधुनिक बनाया
अशोक वाजपेयी
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सैयद हैदर रज़ा : जिनसे अधिक मददगार भारतीय कलाकार शायद हुआ ही नहीं
अशोक वाजपेयी
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94 के रज़ा जो अपनी कला के लिए, अपनी कला में ही जीवित हैं
अशोक वाजपेयी