जन्मदिन
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
अभय शर्मा
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कांशीराम : जिन्हें समझने में अटल बिहारी वाजपेयी भी चूक गए थे
दुष्यंत कुमार
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मौत के बाद जब आइंस्टीन का दिमाग निकालकर उसकी जांच की गई तो क्या पता चला था?
राम यादव
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सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन के लिए ‘अज्ञेय’ उपनाम नहीं बल्कि एक मकसद था
कविता
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फणीश्वर नाथ रेणु : जो न होते तो अपने देश की आत्मा से हम कुछ और कम जुड़े होते
कविता
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क्यों सावरकर बनाम गांधी की बहस में हमें इन दोनों का आपसी संबंध समझने की भी जरूरत है
अव्यक्त
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जयललिता : हार मान लेना जिनके स्वभाव में ही नहीं था
सत्याग्रह ब्यूरो
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सैयद हैदर रज़ा से मिलकर यूं लगा था जैसे आप कला और दर्शन की जुगलबंदी देख रहे हों
शुभम उपाध्याय
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शांति स्वरूप भटनागर अगर वैज्ञानिक न होते तो उतने ही बड़े कवि भी हो सकते थे
अंजलि मिश्रा
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शिवाजी : वह मराठा सरदार जिसने हिंदुओं के खोए हुए आत्मसम्मान को पुनर्स्थापित किया था
अनुराग भारद्वाज
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क्या भाजपा अपने वैचारिक गुरू गोलवलकर की शिक्षाओं से आज उतनी ही दूर है जितनी कि कांग्रेस?
साक़िब सलीम
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रामकृष्ण परमहंस : जिनके भोले प्रयोगवाद में वेदांत, इस्लाम और ईसाइयत सब एकरूप हो गए थे
अव्यक्त
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‘सामने ईसा मसीह का जीवन चरित्र चल रहा था तो मेरे मन के चक्षु भगवान राम के चित्र देख रहे थे’
सत्याग्रह ब्यूरो
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सुषमा स्वराज : जिन्होंने विदेश मंत्रालय को आम आदमी से जोड़ा था
विकास बहुगुणा
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फ़ैज़ को सर्वहारा का दर्द तो दिखता है पर उसके हुक्मरान के ज़ुल्मो-सितम क्यों नजर नहीं आते?
अनुराग भारद्वाज
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मंच पर एक जगजीत वो भी थे जो सिर्फ चित्रा के होते थे
अंजलि मिश्रा
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इवैंजलिन एडम्स : जिनके प्रयासों के चलते अमेरिका ने ज्योतिष विद्या को विज्ञान माना
अनुराग भारद्वाज
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अल्लाह जिलाई बाई : जिनकी वजह से 'केसरिया बालम' दुनिया को राजस्थान का न्योता बन गया
पुलकित भारद्वाज
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अब्बास तैयबजी : आज़ादी के अनूठे सेनानी जिन्हें देश ने भुला दिया
अनुराग भारद्वाज
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जयशंकर प्रसाद साहित्य जगत के बुद्ध थे
कविता