पुण्यतिथि
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लार्ड डेनिंग: जिन्हें पत्नियों को अधिकार दिलाने के लिए पतियों का कोपभाजन बनना पड़ा
अनुराग भारद्वाज
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नानाजी देशमुख : संघ का ऐसा कार्यकर्ता जिसने मन से गांधी और जेपी को स्वीकारा था
सत्याग्रह ब्यूरो
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क्यों सावरकर बनाम गांधी की बहस में हमें इन दोनों का आपसी संबंध समझने की भी जरूरत है
अव्यक्त
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श्रीदेवी : जिस समय उन्हें करोड़ों लोग चाहते थे उस समय वे बिलकुल अकेली और कंगाल भी थीं
सत्याग्रह ब्यूरो
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गांधी और नेहरू मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में क्या कहते थे?
अव्यक्त
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सैयद हैदर रज़ा से मिलकर यूं लगा था जैसे आप कला और दर्शन की जुगलबंदी देख रहे हों
शुभम उपाध्याय
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एडविना माउंटबेटन: जिनके लिए जवाहरलाल नेहरू ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था!
अनुराग भारद्वाज
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सुदर्शन फाकिर: एक ऐसा शायर जिसका न कोई उस्ताद था और न कोई शागिर्द
अमरीक सिंह
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महान दार्शनिक जिद्दू कृष्णमूर्ति राष्ट्रवाद और धर्म को मनुष्यता के लिए खतरा क्यों मानते थे?
अनुराग भारद्वाज
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कर्पूरी ठाकुर : एक राजनीतिक योद्धा जिसने अपमान का घूंट पीकर भी बदलाव की इबारत लिखी
जयंत जिज्ञासु
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‘सामने ईसा मसीह का जीवन चरित्र चल रहा था तो मेरे मन के चक्षु भगवान राम के चित्र देख रहे थे’
सत्याग्रह ब्यूरो
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वेद अगर आसमान से उतर जमीन पर आया है तो ग़ालिब का दीवान जमीन से उठकर आसमान तक पहुंचा है
सत्याग्रह ब्यूरो
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ग़ालिब अगर शायर न होते तो उनके ख़त ही उन्हें अपने दौर का सबसे ज़हीन इंसान बना देते
अनुराग भारद्वाज
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जमनालाल बजाज : गांधी का ‘पांचवां बेटा’ जिसने उनका ट्रस्टीशिप का सिद्धांत जीकर दिखाया
अव्यक्त
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पटकथा : धूमिल की यह कविता अभी ठीक से पढ़ी जानी बाकी है
प्रियदर्शन
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काला जल : जिसमें शानी, बस्तर और मुस्लिम आबादी का यथार्थ एक साथ मिलते हैं
कविता
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सूर और कबीर की परंपरा के निदा फाजली ने दोहे की लोकविधा में नई जान भरी थी
कविता
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अब्बास तैयबजी : आज़ादी के अनूठे सेनानी जिन्हें देश ने भुला दिया
अनुराग भारद्वाज
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के हमरा गांधीजी के गोली मारल हो, धमाधम तीन गो...
अव्यक्त
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गांधीजी के आखिरी दिन का आंखों देखा हाल
सत्याग्रह ब्यूरो