पुण्यतिथि
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
पुलकित भारद्वाज
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घनश्याम दास बिड़ला: हिंदुस्तान की औद्योगिक क्रांति का जनक जो खुद को व्यापारी नहीं मानता था
अनुराग भारद्वाज
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
अपूर्वानंद
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स्टीफन हॉकिंग के जीवन का निचोड़ शायद यही था कि जहां अंत दिखता है, वहां नई शुरुआत होती है
राजेन्द्र धोड़पकर
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कृश्न चंदर : जिन्होंने लूट लिए गए अपने सफ़ेद हत्थी वाले चाकू को वापस पाने के लिए लिखा
अनुराग भारद्वाज
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बाकी धुनों पर बोल बिठाते थे, रवि ने बोलों पर धुनें सजाईं
अनुराग भारद्वाज
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लार्ड डेनिंग: जिन्हें पत्नियों को अधिकार दिलाने के लिए पतियों का कोपभाजन बनना पड़ा
अनुराग भारद्वाज
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नानाजी देशमुख : संघ का ऐसा कार्यकर्ता जिसने मन से गांधी और जेपी को स्वीकारा था
सत्याग्रह ब्यूरो
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श्रीदेवी : जिस समय उन्हें करोड़ों लोग चाहते थे उस समय वे बिलकुल अकेली और कंगाल भी थीं
सत्याग्रह ब्यूरो
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गांधी और नेहरू मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में क्या कहते थे?
अव्यक्त
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सैयद हैदर रज़ा से मिलकर यूं लगा था जैसे आप कला और दर्शन की जुगलबंदी देख रहे हों
शुभम उपाध्याय
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एडविना माउंटबेटन: जिनके लिए जवाहरलाल नेहरू ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था!
अनुराग भारद्वाज
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सुदर्शन फाकिर: एक ऐसा शायर जिसका न कोई उस्ताद था और न कोई शागिर्द
अमरीक सिंह
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महान दार्शनिक जिद्दू कृष्णमूर्ति राष्ट्रवाद और धर्म को मनुष्यता के लिए खतरा क्यों मानते थे?
अनुराग भारद्वाज
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कर्पूरी ठाकुर : एक राजनीतिक योद्धा जिसने अपमान का घूंट पीकर भी बदलाव की इबारत लिखी
जयंत जिज्ञासु
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‘सामने ईसा मसीह का जीवन चरित्र चल रहा था तो मेरे मन के चक्षु भगवान राम के चित्र देख रहे थे’
सत्याग्रह ब्यूरो
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वेद अगर आसमान से उतर जमीन पर आया है तो ग़ालिब का दीवान जमीन से उठकर आसमान तक पहुंचा है
सत्याग्रह ब्यूरो
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ग़ालिब अगर शायर न होते तो उनके ख़त ही उन्हें अपने दौर का सबसे ज़हीन इंसान बना देते
अनुराग भारद्वाज
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जमनालाल बजाज : गांधी का ‘पांचवां बेटा’ जिसने उनका ट्रस्टीशिप का सिद्धांत जीकर दिखाया
अव्यक्त
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पटकथा : धूमिल की यह कविता अभी ठीक से पढ़ी जानी बाकी है
प्रियदर्शन