मुक्तिबोध
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रज़ा जब कला नहीं रचते थे तब उसे रचने के लिए खुद को तैयार कर रहे होते थे
अशोक वाजपेयी
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मान्यता के लिए हर जतन करने वाले आज के युवाओं को उस उजले मुक्तिबोध की याद दिलानी चाहिए
अशोक वाजपेयी
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जो मुक्तिबोध में सिर्फ अंधेरा, भीषण या भयानक ही देखते हैं वे उन्हें जानते नहीं
अपूर्वानंद
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कविता आत्म की अभिव्यक्ति से अधिक आत्म की रचना भी हो सकती है
अशोक वाजपेयी
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लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों पर बड़ी चोट लोकतांत्रिक व्यवस्था से सत्ता पाने वाले ही करते हैं
अशोक वाजपेयी
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दिल्ली सिर्फ सत्ता और रौबदाब का स्थापत्य नहीं ज्वलंत विचारों और सृजनशीलता का उपवन भी है
अशोक वाजपेयी
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ऐसे नेताओं की कभी कमी नहीं रही जो खुद को अभिभावक और जनता को एक अपरिपक्व बालक मानते हैं
अपूर्वानंद
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आधुनिक कला की विश्वराजधानी होने का दर्ज़ा पहले ही खो चुका पेरिस मेरे लिए इस बार बदला है
अशोक वाजपेयी
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मुक्तिबोध शायद अकेले कवि हैं जिनकी कविताओं को अध्यायों की तरह भी पढ़ा-समझा जा सकता है
अशोक वाजपेयी
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सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय': एक महान कवि जिसे सबसे अधिक कुपाठ और प्रहार सहने पड़े
अशोक वाजपेयी
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कावलम नारायण पणिक्कर : जिन्होंने संस्कृत को आधुनिक रंगकर्म की भाषा बनाया
अशोक वाजपेयी
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विफलता कैसे सार्थक हो सकती है इसका सबसे उजला और जीवंत उदाहरण मुक्तिबोध हैं
अशोक वाजपेयी
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गया वह समय जब महत्वपूर्ण भी लोकप्रिय हुआ करते थे
अशोक वाजपेयी