वर्षांत - 2018
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बीते साल आए चार फैसले जो पुरुषों और अल्पसंख्यकों के हक की राह में मील का पत्थर बने
साल 2018 पुरुषों और एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों के लिए हुए फैसलों के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण रहा
गायत्री आर्य
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साल के वे पांच गाने जिन्हें उनके अनूठे बोलों के लिए याद रखा जा सकता है
इनमें से कुछ गाने हर जुबान पर चढ़े तो कुछ अनसुने ही रह गए, मगर इन सबके बोल इन्हें साल के अंत में याद करने लायक बनाते हैं
अंजलि मिश्रा
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2018 की तीन फिल्में जिन्होंने कट्टर राष्ट्रवाद के इस दौर में देशभक्ति को सही-साफ चश्मे से देखा
बीते कुछ समय से हिंदी सिनेमा ने उग्र और कट्टर राष्ट्रवाद को भी ऐसे बेचना शुरू कर दिया है कि जैसे वही देशभक्ति का पावन चेहरा हो
शुभम उपाध्याय
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साल के तीन सबसे चर्चित विलय और उनके पीछे की कहानी
विलय की इन कहानियों के पीछे कहीं मज़बूरी थी तो कहीं समझदारी
अनुराग भारद्वाज
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कैसे 2018 राहुल गांधी को ‘पप्पू’ से परिपक्व माने जाने का साल भी बन गया
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की राजनीतिक परिपक्वता इस साल के उनके भाषणों में भी साफ तौर पर दिखी
हिमांशु शेखर
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जमाल ख़शोगी हत्याकांड : जिसने इस साल सऊदी अरब के 'उदारवाद' की पोल खोल दी
हाल के समय में सऊदी अरब ने अपनी रूढ़िवादी छवि बदलने की कोशिश की है, लेकिन जमाल ख़शोगी हत्याकांड के बाद उसकी इन कोशिशों पर सवाल खड़ा हुए हैं
दुष्यंत कुमार
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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वे पांच नेता जिनके सितारे 2018 में अचानक बुलंद हो गए
इन पांच नेताओं का उदाहरण एक बार फिर याद दिलाता है कि राजनीति में कभी किसी नेता को चुका हुआ नहीं माना जा सकता
हिमांशु शेखर
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2018 को इन छह गाड़ियों के नए अवतारों के लिए भी याद रखा जाएगा
मारुति-सुज़ुकी स्विफ्ट | होंडा अमेज़ | रेनो क्विड | मारुति-सुज़ुकी सियाज़ |ह्युंडई सेंट्रो | जावा
पुलकित भारद्वाज
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भारतीय राजनीति के वे दिग्गज जो 2018 में दुनिया को अलविदा कह गए
यह साल उन नेताओं की दुनिया से विदाई का साल भी माना जा सकता है जिनके बिना भारतीय राजनीति का इतिहास अधूरा है
हिमांशु शेखर
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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2018 में आई हिंदी की पांच किताबें जो पढ़ी जानी चाहिए
2018 में प्रकाशित हुई ये पांच किताबें हिंदी साहित्य को अपने कथ्य, भाषा और तेवर से समृद्ध करती हैं. इन्हें पढ़ना पाठकों को सुखद लगेगा
गायत्री आर्य
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हीरो के साइड में खड़े होने वाले तीन ‘एक्टर’ जो साल 2018 में हीरे की मानिंद चमके
इन कलाकारों ने सिर्फ अपने किरदार को ही यादगार नहीं बनाया बल्कि कई सीन्स में इन्होंने फिल्म के नायक या नायिका को भी अपने सामने फीका कर दिया
शुभम उपाध्याय
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चुटकियों और चुटकुलों में बीते बारह महीनों की सबसे बड़ी राजनीतिक घटनाएं-दुर्घटनाएं
इन घटनाक्रमों के बिना हमारी राजनीति कुछ बेरंग-सी रहती तो वहीं इन पर ली गई चुटकियों के बिना 2018 में हमारे पास हंसने के मौके कुछ कम हो जाते
सत्याग्रह ब्यूरो
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है