स्मृति शेष
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केशवानंद भारती : वह धर्मगुरु जिसकी कोशिशों से भारत एक लोकतंत्र के रूप में बचा रह सका
केशवानंद भारती के मामले के चलते संसद और न्यायपालिका के बीच वह संतुलन कायम हो सका जो इस फैसले के पहले के 23 सालों में संभव नहीं हो सका था
चंदन शर्मा
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प्रणब मुखर्जी : एक ऐसा प्रधानमंत्री जो भारत को मिला नहीं
ज्यादातर लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी की प्रतिभा को व्यर्थ किया और अगर वे प्रधानमंत्री बन जाते तो पार्टी आज से बेहतर स्थिति में होती
विकास बहुगुणा
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अब कौन उठाएगा आसमान की तरफ हाथ और सुनाएगा - ‘किसी के बाप का हिंदोस्तान थोड़ी है’
आवाम का शायर होना आसान नहीं होता लेकिन दरबारी कवियों और शायरों के इस दौर में भी राहत इंदौरी ने अपनी उस धार को कभी कुंद नहीं होने दिया
शुभम उपाध्याय
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सरोज खान के नृत्य निर्देशन वाले वे पांच गाने जिन्होंने माधुरी दीक्षित को डांस डीवा बनाया
अपने हर गाने पर हफ्तों की रिहर्सल और कई दिनों की शूटिंग करने वाली माधुरी दीक्षित ने सरोज खान के साथ मिलकर बॉलीवुड को कई नायाब डांस नंबर्स दिए हैं
अंजलि मिश्रा
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नंदकिशोर नवल: ‘शमशेर, नागार्जुन, त्रिलोचन और मुक्तिबोध जैसे कवि एक खास विचारधारा की जकड़न में थे’
बीते मंगलवार को हिंदी के नामचीन लेखक-आलोचक नंदकिशोर नवल का निधन हो गया. उनसे कुछ साल पहले हुई यह बातचीत हिंदी कविता की कई खिड़कियां-दरवाजे खोल देती है
निराला
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इरफ़ान यूं तो तुम अब दोनों जहान के हो, लेकिन यह बात हमेशा मायने रखेगी कि तुम राजस्थान के थे
इरफ़ान एक पूरी पीढ़ी को राजस्थान की उस पहचान से जोड़ते रहे जो ढालों की टंकार और तलवारों की चमक के आगे कहीं कुंद सी हो गई है
पुलकित भारद्वाज
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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जब इरफान खान सबसे ज्यादा तकलीफ में थे
बीमारी से लड़ते हुए की गई अंतिम चार फिल्मों में इरफान खान का अभिनय बताता है कि आने वाले वक्त में वे अनोखी कहानियों के अभिनेता नहीं, देवता कहे जाएंगे
सत्याग्रह ब्यूरो
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इरफान: जिन्होंने साधारण को असाधारण बनाया
इरफान ने ऐसे तमाम किरदार जिए जिनसे हम सभी कभी न कभी जरूर दो-चार हुए होंगे - कभी बाहर तो कभी अपने भीतर
विकास बहुगुणा
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कभी दुनिया के बड़े गणितज्ञों में शुमार वशिष्ठ नारायण सिंह को उनकी मौत ही गुमनामी से निकाल सकी
नासा से गुमनामी तक प्रसिद्ध गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की कहानी हमारी व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल भी है
अनुराग शुक्ला
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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‘संकटमोचक’ अरुण जेटली की कमी भाजपा को कहां-कहां महसूस हो सकती है?
नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में अरुण जेटली की वजह से अनुभवी और नए चेहरों में एक संतुलन देखा जा सकता था
हिमांशु शेखर
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ख़य्याम : जिनकी सारी फिल्में मील का पत्थर बनीं
संगीत में सुकून की बात हो तो ख़य्याम याद आते हैं
अनुराग भारद्वाज
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मनोहर पर्रिकर की सादगी दिल्ली के कई बुद्धिजीवियों की तरह करीने से ओढ़ी-बिछाई नहीं बल्कि सहज थी
मनोहर पर्रिकर में सादगी और कार्यकुशलता के साथ वह लोकप्रियता भी थी जो प्रचार की किसी कवायद से नहीं बनी थी. किसी कद्दावर नेता में ये सारे गुण एक साथ नहीं होते
अनुराग शुक्ला
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है