जन्मदिन
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
गीतकार शैलेंद्र ने अपने कालजयी गीतों के जरिये आम आदमी की भावनाओं को जुबान दी
अभय शर्मा
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
ज़िंदगी पुस्तकालयों में बिता देने वाले कार्ल मार्क्स ने दुनिया भर में शायद सबसे ज्यादा लोगों को घरों से निकलकर अपनी दुनिया बदलने की प्रेरणा दी
अपूर्वानंद
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कांशीराम : जिन्हें समझने में अटल बिहारी वाजपेयी भी चूक गए थे
बसपा संस्थापक कांशीराम ने अपने संघर्ष से वंचितों को फ़र्श से अर्श तक पहुंचाया, लेकिन ख़ुद के लिए आरंभ से अंत तक ‘शून्य’ को प्रणाम करते रहे
दुष्यंत कुमार
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मौत के बाद जब आइंस्टीन का दिमाग निकालकर उसकी जांच की गई तो क्या पता चला था?
सर्वकालिक महान वैज्ञानिक माने जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन की एक खोई हुई पांडुलिपि हाल ही में मिली है
राम यादव
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सुपरस्टार तो दर्जनों हुए हैं, लेकिन आमिर खान जैसा एक भी नहीं!
आमिर खान आज 56 साल के हो गए हैं
शुभम उपाध्याय
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सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन के लिए ‘अज्ञेय’ उपनाम नहीं बल्कि एक मकसद था
कवि रूप में अज्ञेय का निश्छल भोलापन हमें अगर अनायास खींचता है तो उनकी कहानियों और उपन्यासों के पात्र विवश करते हैं कि हर सवाल पर फिर से सोचा जाए
कविता
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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फणीश्वर नाथ रेणु : जो न होते तो अपने देश की आत्मा से हम कुछ और कम जुड़े होते
अपने जीते जी ही किंवदंती बनकर फणीश्वर नाथ रेणु अपने समय के रचनाकारों के लिए प्रेरणा और जलन दोनों का कारण बन गए थे
कविता
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क्यों सावरकर बनाम गांधी की बहस में हमें इन दोनों का आपसी संबंध समझने की भी जरूरत है
विनायक दामोदर सावरकर को ‘वीर’ कहने वाले महात्मा गांधी ने आजीवन उनसे संवाद कायम रखने की एकतरफा और असफल कोशिश की थी
अव्यक्त
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जयललिता : हार मान लेना जिनके स्वभाव में ही नहीं था
यह कहानी बताती है कि एमजीआर के निधन के बाद जयललिता किस अपमान और संघर्ष से गुजरने के बाद एआईएडीएमके का सर्वमान्य चेहरा बन सकी थीं
सत्याग्रह ब्यूरो
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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सैयद हैदर रज़ा से मिलकर यूं लगा था जैसे आप कला और दर्शन की जुगलबंदी देख रहे हों
उस मुलाकात के वक्त सैयद हैदर रज़ा साहब की सेहत बेहद नासाज थी, लेकिन चित्रकारी और उसके बहाने खुद को अभिव्यक्त करने को लेकर उनका उत्साह तब भी चरम पर था
शुभम उपाध्याय
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शांति स्वरूप भटनागर अगर वैज्ञानिक न होते तो उतने ही बड़े कवि भी हो सकते थे
शांति स्वरूप भटनागर से जुड़े सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं. लेकिन इस महान वैज्ञानिक की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा अछूता ही रह गया है
अंजलि मिश्रा
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शिवाजी : वह मराठा सरदार जिसने हिंदुओं के खोए हुए आत्मसम्मान को पुनर्स्थापित किया था
शिवाजी कूटनीतिक समझ से काम लेते थे और राजपूतों के उलट युद्ध में जान देने वाली 'वीरता' से बचा करते थे
अनुराग भारद्वाज
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है