प्रत्याशित
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क्या जैसा पुरखों ने बताया है, दुर्गा को हम वैसे ही याद करते रह सकते हैं?
भावी पीढ़ियां क्या हमारी किसी भक्ति-शक्ति की कल्पना को याद करके कृतज्ञता का अनुभव करेंगी या जो हमें मिला है हम उसे आगे बढ़ाने का साधन मात्र बनकर रह जाएंगे
अपूर्वानंद
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1942 में इसी समय गांधी की अपनों से ही हुई यह बहस बताती है कि हमें आजादी किन मूल्यों पर मिली है
उस समय राजगोपालाचारी महात्मा गांधी की खुली आलोचना कर रहे थे और गांधी जी उनका विरोध करने के साथ-साथ पंडित नेहरू से भी बहस कर रहे थे
अपूर्वानंद
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गांधी जी तो सिर्फ आंदोलन करते थे फिर भारत छोड़ो, अगस्त क्रांति कैसे बन गया?
गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर यह तो माना कि उसमें हिंसा हुई लेकिन अपने पिछले आंदोलनों की तरह उसका जिम्मा लेने से इनकार कर दिया
अपूर्वानंद
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बाबरी मस्जिद का ध्वंस एक छद्मवीरता थी जिसे कुछ लोग शौर्य बताते रहते हैं
अगर आप ऐसे सुरक्षा बलों के घेरे में हैं, जो आपके साथ राम नाम जप रहे हैं और आप ऐसी जगह पर चढ़ाई कर रहे हैं, जिसकी रक्षा को कोई है ही नहीं, तो इसमें वीरता कैसी!
अपूर्वानंद
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ऐसा क्यों हो कि प्रेम, करुणा, सहानुभूति या जनता के मुद्दों के वकील सिर्फ एक्टिविस्ट हों?
अक्सर एक्टिविस्ट की उपस्थिति उनके लिए परेशानी का सबब होती है जो खुद को किसी अधिक गंभीर काम में व्यस्त मानते हैं
अपूर्वानंद
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गांधी की आलोचना में दिक्कत नहीं है, बिना सोची-समझी निंदा में है
गांधी के गांधी बनने का बड़ा कारण था अपनी आलोचना को शत्रुता न मानना. लेकिन आलोचक और निंदक में बड़ा फर्क है
अपूर्वानंद
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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क्या राहुल गांधी में कांग्रेस की विरासत को समझने और उसे अपनी पार्टी को समझाने की कुव्वत है?
क्या राहुल गांधी वैसे हैं जैसा कुछ समय पहले तक उन्हें माना जाता था या जैसा अब कुछ लोग उन्हें मानने लगे हैं?
अपूर्वानंद
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किसी को मुर्दाबाद कहना हमारी संस्कृति नहीं, फिर वह स्टालिन या गोडसे ही क्यों न हो
लेकिन मानवीयता के जिस तर्क के आधार पर ऐसा कहना गलत है, उसके अपराधियों की सूची में तो इनका नाम रहेगा ही!
अपूर्वानंद
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बाबरी मस्जिद ध्वंस की 25वीं वर्षगांठ हमारी याद करने की कुव्वत का इम्तेहान भी है
एक जवाबदेह स्मृति वह है जो आत्मालोचनात्मक हो, सुरक्षात्मक न हो, अप्रिय को देख पाए और ऐसे देखने को दिखाने से परहेज न करे
अपूर्वानंद
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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भारत कभी एक अहिंसक समाज नहीं बल्कि हिंसा के प्रति असहज समाज रहा है
क्या आज का भारत हिंसा और अहिंसा पर लगातार चलती रही अपने पूर्वजों की बहस को उतनी ही गंभीरता के साथ आगे ले जाने की क्षमता रखता है
अपूर्वानंद
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अंत में, आंग सान सू और पोप फ्रांसिस सिर्फ अपने समुदायों के ही नेता हैं
आंग सान सू की अपने समुदाय की हिंसा के खिलाफ नहीं बोल सकतीं और पोप फ्रांसिस अपने समुदाय को खतरे में पाकर दूसरे समुदाय की हिंसा के खिलाफ
अपूर्वानंद
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हममें से कई लोग भारतीय संस्कृति को पश्चिम की नजरों से ही क्यों देखना-समझना चाहते हैं?
महात्मा गांधी मानते थे कि किसी भजन या राष्ट्रीय गान के समय खड़े होने की कोई आवश्यकता नहीं है बल्कि एक सम्मानजनक मुद्रा ही पर्याप्त है
अपूर्वानंद
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है