फिल्म समीक्षा
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शकुंतला देवी: जितनी अद्भुत शख्सियत, उतना दिलचस्प सिनेमा!
एक मैथ्स जीनियस पर बनी होने के बावजूद ‘शकुंतला देवी’ संवेदनाओं और भावनाओं को खुद में शामिल करते हुए कोई कंजूसी नहीं बरतती है
अंजलि मिश्रा
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बुलबुल: परीकथाएं कैसी होनी चाहिए... ऐसी!
अन्विता दत्त की यह फिल्म देखेंगे तो पता चलेगा कि वे कहानियां जिन्हें कभी चुड़ैलों की बताया गया था, उनमें से कुछ असल में परीकथाएं थीं
अंजलि मिश्रा
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गुलाबो सिताबो: लखनऊ का वह किस्सा जिसमें नवाब और कबाब का जिक्र तक नहीं है
शूजीत सरकार की ‘गुलाबो सिताबो’ धीमी रफ्तार का ऐसा सुंदर और संवेदनशील सिनेमा है जिसके न बनने की शिकायत सिनेमाप्रेमी न जाने कब से कर रहे थे
अंजलि मिश्रा
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घूमकेतु: यह फिल्म नहीं भसड़ है
‘घूमकेतु’ अपने खरे-भदेसी कलेवर से जितना हंसाती है, अपनी अधपकी विविधताओं और गंभीरता से उतना ही उकता भी देती है
अंजलि मिश्रा
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अंग्रेज़ी मीडियम: जिसे देखकर पिछले दिनों इरफान को न देख पाने का दुख और गहरा हो जाता है
‘अंग्रेज़ी मीडियम’ बाप-बेटी की भावुक कहानी वाली एक फीलगुड फिल्म है जिसके ऐसा होने का सारा क्रेडिट इरफ़ान खान के निराले अभिनय को जाता है
अंजलि मिश्रा
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कामयाब: जहां संजय मिश्रा अभिनय नहीं करते बल्कि उसकी कक्षा लगा देते हैं
‘कामयाब’ में संजय मिश्रा यह भी दिखाते हैं कि बुरा अभिनय करने का बढ़िया अभिनय कैसे किया जाता है
अंजलि मिश्रा
क्विज
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क्विज़: आप इरफान खान के कितने बड़े फैन हैं?
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क्विज: क्या आप एसपी बालासुब्रमण्यम को चाहने वालों में से एक हैं?
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क्विज़: अदालत की अवमानना के तहत आप पर कब कार्रवाई हो सकती है?
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इस साल हज यात्रा पर रोक लगााए जाने के अलावा आप इसके बारे में क्या जानते हैं?
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क्विज: भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में आप कितना जानते हैं?
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बागी 3: जिसे कोरोना वायरस की वजह से नहीं, वैसे ही अवॉइड कर सकते हैं
अगर आप टाइगर श्रॉफ के बहुत बड़े फैन हैं और उन्हें देखने के लिए कोरोना वायरस की दहशत के बावजूद भीड़ में जाने की हिम्मत रखते हैं तो ही यह फिल्म देखने जाइए
सत्याग्रह ब्यूरो
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अगर समय न हो तो इस समीक्षा को छोड़ दें पर ‘थप्पड़’ देख लें
थप्पड़ की एक खासियत यह भी है कि इसके एक-एक दृश्य को भी यहां पर बता दिया जाए तो भी वह उसे देखे जाने के बराबर नहीं हो सकता
अंजलि मिश्रा
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भूत पार्ट वन - द हॉन्टेड शिप: जो हॉरर जॉनर की एक नई ऊंचाई छूते-छूते धड़ाम से गिर पड़ती है
‘भूत पार्ट वन - द हॉन्टेड शिप’ इंटरवल के श्राप का शिकार तो है, लेकिन विकी कौशल के कई परतों वाले अभिनय के चलते देखने लायक बनी रहती है
अंजलि मिश्रा
समाज और संस्कृति
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जिंदगी का शायद ही कोई रंग या फलसफा होगा जो शैलेंद्र के गीतों में न मिलता हो
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रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं
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किस्से जो बताते हैं कि आम से भी भारत खास बनता है
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क्यों तरुण तेजपाल को सज़ा होना उनके साथ अन्याय होता, दूसरे पक्ष के साथ न्याय नहीं
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कार्ल मार्क्स : जिनके सबसे बड़े अनुयायियों ने उनके स्वप्न को एक गैर मामूली यातना में बदल दिया
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शुभ मंगल ज्यादा सावधान: इस प्रेम कहानी का सामान्य होना ही ऐसे प्यार और सिनेमा दोनों की जीत है
‘इक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ के बाद ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ वह दूसरा मौका देती है जब समलैंगिकता जैसे विषय पर बनी कोई फिल्म सपरिवार देखी जा सकती है
अंजलि मिश्रा
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शुक्राणु: आपातकाल की पृष्ठभूमि वाली एक कॉमेडी जिसका राजनीतिक न होना उसकी सबसे बड़ी खासियत है
ज़ी5 पर उपलब्ध ‘शुक्राणु’ आपातकाल के दौरान चलाए गए नसबंदी अभियान के आसपास अपनी कॉमेडी रचती है
अंजलि मिश्रा
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लव आज कल: जो उस टिंडर प्रोफाइल की तरह है जिसे देखकर समझ नहीं आता कि लेफ्ट स्वाइप करें या राइट?
इम्तियाज़ अली की ‘लव आज कल’ 2009 में इसी शीर्षक और कहानी के साथ आई फिल्म का अपडेटेड वर्ज़न है, लेकिन मनोरंजन के मामले में यह बात नहीं दोहराई जा सकती
अंजलि मिश्रा
विशेष रिपोर्ट
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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है
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कैसे किसान आंदोलन इसमें शामिल महिलाओं को जीवन के सबसे जरूरी पाठ भी पढ़ा रहा है
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हमारे पास एक ही रेगिस्तान है, हम उसे सहेज लें या बर्बाद कर दें
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क्या आढ़तिये उतने ही बड़े खलनायक हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है?
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक गांव जो पानी और सांप्रदायिकता जैसी मुश्किलों का हल सुझाता है