आपातकाल
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संविधान संशोधन जिसने देश से गणतंत्र और लोकतंत्र होने का अधिकार छीन लिया था
आपातकाल के दौरान भारतीय संविधान में हुए संशोधनों में यह पांचवां था और इसके चलते संविधान को 'कंस्टीट्यूशन ऑफ इंदिरा' कहा जाने लगा था
राहुल कोटियाल
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विनोबा भावे का आपातकाल को ‘अनुशासन पर्व’ कहना उस दौर की सबसे गलत समझी-समझाई गई कहानी है
आचार्य विनोबा भावे ने आपातकाल को अनुशासन पर्व कहकर एक तरह से सरकार और सत्ता का विरोध किया था लेकिन आज तक इस घटना का उल्टा मतलब ही निकाला जाता है
अव्यक्त
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इमरजेंसी लगने के बाद देश में क्या-क्या हुआ था?
जाने-माने समाजवादी चिंतक सुरेंद्र मोहन का यह लेख मूल रूप से 1985 में कलकत्ता से प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका ‘रविवार’ में प्रकाशित हुआ था
सुरेंद्र मोहन
लोकप्रिय
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जस्टिस काटजू अपनी तरह के पहले न्यायाधीश हैं और जस्टिस किरुबकरण उनकी तरह के दूसरे
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‘उसने कहा था’ में ऐसा क्या है कि सिर्फ यही एक प्रेम कहानी लिखकर चंद्रधर शर्मा गुलेरी अमर हो गए
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मतदान की आयु 21 से 18 वर्ष किए जाने सहित 20 दिसंबर के नाम और क्या दर्ज है?
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मुंह से खून आना सिर्फ टीबी का लक्षण नहीं है, तो फिर इसका मतलब और क्या-क्या हो सकता है?
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संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए प्रारूप समिति बनने सहित 29 अगस्त के नाम और क्या दर्ज है?
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आपातकाल को सिलेबस में शामिल करने की योजना के पीछे क्या है?
भाजपा नेताओं के एक धड़े की तरफ से आपातकाल की घटना को पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने की बात कही जा रही है
अक्षय दुबे
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रुखसाना सुल्ताना : एक सुंदरी जिसे देखते ही मर्दों की रूह कांप जाती थी
रुखसाना को संजय गांधी ने मुस्लिम समुदाय को ज्यादा से ज्यादा तादाद में नसबंदी के लिए राजी करने का काम सौंपा था. इसके बाद उन्होंने कहर ढा दिया.
सत्याग्रह ब्यूरो